पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/३६

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पठान सरकार के साथ बड़े बड़े वीर थे और उनकी गिनती राजपूतों से छ: गुनी थी। दो घण्टे तक लड़ाई रही और रावल और उसके सारे सगोती कर मरे। पर उन्होंने दो हजार पठान भी खेत में बिछा दिये। ५-राजपूत स्त्रियां भी ऐसी ही वीर, ऐसी ही सची और ऐसी ही उदार होती हैं। वह भी भरने से नहीं डरती। थइ कई बार हो चुका है कि जब राजपूत राजा का कोई नगर या गढ़ घिर गया और उसके बचने की कोई आसन रही तो मर्द तलवार लेकर बैरियों पर टूट पड़े और नियों ने भाग जलाई और उसी में जलकर मर गई। इस रीति से वह बैरी के हाथ में पड़ने से बच गई। ६-राठौरवंश के महाराज जसवंत सिंह भी बड़े भारी राजा थे। मुगल सम्राट औरंगजेब ने उनको लड़ाई में परास्त कर दिया। वह बेचारे अपने प्राण बचाने को अपनी राजधानी योधपुर को भागे । योधपुर में उनकी रानी के हुकुम से फारक बन्दकर लिया गया। बहुतेरा कहा पर उसने फाटक न खुलवाया। उसने कहा, “मुझे विश्वास नहीं होता कि यह भगेलू मेरा पति महाराज जसवन्त सिंह है। यह कोई नीच, कोट के भीतर आना चाहता है। मेरा पति रणभूमि में पड़ा है और जो री उसने मारे हैं उसकी लोथ के चारों ओर पड़े हैं। महाराज जसवन्त सिंह कमी बैरी को पीठ न दिखायेंगे।