पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/३८

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घोड़ों, अटों और अपने गल्लों के लिये चारे की खोज में इधर उधर फिरा करते हैं। पुराने समय में इनमें बहुत सी धुरी दीसिया धीं। सब आपस में लड़ा करते थे और मूर्तियई पूजते थे। २-तेरह सौ बरस हुए इस अरब में मुहम्मद साहेब रहते थे। उनको अपने देशवासियों की धुरी रीतियों को देखकर बड़ा दुःख हुथा और उन्होंने उनके सुधारने का बड़ा उद्योग किया। उन्होंने अरबबालों से यह कहा कि, “ईश्वर एक है जिसको अल्लाह कहते है और उसी अवलाह ने हमको तुम्हें यह सिखाने को भेजा है कि आपस में लड़ना कटना पाप है। अरबबालों को चाहिये कि भाई भाई का सा बरताव करें।" उन्होंने यह भी कहा कि मूर्तिपूजा पाप है। ३-पहले तो अदबवालों ने उनका कहना न माना। और उनमें कुछ महम्मद साहेब को मार डालने पर उतारू हो गये। अन्त को सब उनकी सम्मति में आ गये और उन्हों ने अपनी मूर्तियां तोड़ डाली। उनके मरने से पहिले अरब के सारे रहनेवाले उनके साथ हो गये थे। यह लोग मुसल्मान कहलाये। मुसल्मान कहते हैं कि अल्लाह एक है और महम्मद उसके. पैगम्बर हैं। इनका दीन इसलाम कहलाता है। ४-इस दीनके अनुसार अरबवाले सब भाई भाई हो गये और उनकी आपस की लड़ाई बन्द हो गई। पर उन का