पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/३९

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लड़ने का खमा बसा ही बना रहा। अब उन्हों ने लोना कि हमारे लिये मूर्ति पूजना पाप है तो जो लोग मूर्ति पूजते है वह सपा प्राधी हैं। उन्होंने बिचारा कि सबको अपनी सूतियां तोड़ डालनी चाहिये और शुरू हो जाला नाहिये। ऐसा निश्चय करके उन्होंने और देशों पर सढ़ाई की और उनको परास्त कर दिया। जो लोग मुसल्मान हो गये उन को उन्हों ने छोड़ दिया और अपना माई बना लिया। अरबक्षाले यह समझते थे कि दीन के लिये लड़ते लड़वे मर जाने से अल्लाह प्रसन्न होता हैं और उनको बिहिश्त मिलता है। ५-अरबवालों ने थोड़े ही दिनों में अरब के उत्तर के देश ले लिये। इन देशों को लूटने से उनके हाथ बहुतसा धन लगा और उनको और देश परास्त करने की लालसा बढ़ी। और वह देश पर देश जीतते गये। ईरान तुर्किस्तान और अफगानिस्तान उनके पास में हो गये और इन के रहनेवाले मुसलमान बना दिये गये। यह लो अन शक मुसलमान हैं। यूरोप के टरकी देश में भी मुसल्माम रहते हैं। -तारीख-ईसवी सन्काल को गिनती। १-जब कोई कहता है कि कोई बात दस बरस पहिले हुई थी तो हम समझ जाते हैं कि उस बात को हुए