पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/४७

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कर ले जाने को बहुत से ऊँट और घोड़े अपने साथ लाश। राजपूत बड़ी बीरता से लड़े पर अफगान उनसे डीलडौल में बड़े और बली थे और अच्छे घोड़ों पर सवार थे। हिन्दू हार गये, कितने मारे गये और कितने भाग गये। ४-गङ्गा और यमुना के तीर पर बड़े बड़े नगरों में ऐसे मन्दिर थे जिनकी सोने की छतें थी, सोने के खम्मे थे, पच तक में सोना जड़ा था, मूर्तियां सोने की ढली थी और उनकी आँख माणिक की थीं। हीरा मोती और पञ्चों के हार मूर्तियाँ पहिले हुई थी। सहयूद और उसके क्रूर अफगानी ऐसी लूट की सामग्री देखकर फूल रम्ये। महमूद मन्दिरों में घुस गया अपने हाथ से मूर्तियाँ तोड़ डाली और सोना बांदी मोती माणिक सब उठा ले गया। उसके सिपाही नगर में घर घर घुसते फिर, जो चाहा सो ले लिया और जिसने उन्हें रोका उसे मार डाला। कहते हैं कि एक ही शहर से वह तीन सौ पचास हाथी और हजारों ऊँटों पर लूट का माल लाद कर ले गया था। इसी एक शहर से पचास हजार हिन्दू पकड़ कर गजनी पहुँचाये गये और वहाँ की गलियों में दो दो रुपये को बेचे गये ; चहुत से हिन्दू बरजोरी से मुसलमान बना डाले गये। ६-जली पहुँच कर महमूद ने बड़ा भारी भोज का सामान किया। सारे अफ़गानों को बुलाया तीन दिन