पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/४९

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धवाने नहीं और इतना कह कर उसने अपनो लोहे की गदा इतने ज़ोर से भारी कि मूर्ति के टुकड़े टुकड़े हो गये। ह-महमूद सोमनाथ से बहुत सा लूट का माल और कई अच्छे कारगीर अफगानिस्ताव को ले गया। वहाँ उसने गाजनी नगर में बड़े बड़े मकान और महल बनवाये और उसको सुन्दर नगर बना दिया। एक मसजिद ऐसी सुन्दर बनी जिसको देख कर सब लोग अचरज करते थे। उसका नाम स्वर्ग की दुलहिन है। बहुत से कचि और गुणी लोन गाजनी में आये और सुल्तान ने सब का आदर किया और सब को बहुत सा धन दिया। ११---सुलतान महमूद--कवि का सत्कार । १-महमूद को अपनी कीर्ति का ऐसा घमण्ड था कि उसने उस समय के महाकवि फिरदौसी से कहा कि एक बड़ा काव्य रची और यह प्रतिज्ञा की, एक शेर के लिये एक दिरहम दूंगा। उस समय में दिरहम सिका सोना और चाँदी दोनों का होता था; पर फ़िरदौसी यह समझा और सब लोग यही समझो थे कि महमूद बड़ा मारी बादशाह है सोने ही के दिरहम देगा। २...फिरदौसीने काम में लग्गा लगा दिया और ३० बरस मैं यह अन्य समाप्त किया। इसका नाम शाहनामा है और यह