पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/५३

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१३-सुल्तान महमूद और उसके उल्लू गुरु । ...एक बार महमूद गजनवी पश्चिम का देश उजाड़ कर रहा था। उसकी सेना खड़ी फ़सल काटती, गांधों में आग लगाती और ढोर हाँक ले जाती थी। ऐसा जान पड़ता था कि कुछ न बचेगा और सारा देश उजाड़ हो जायेगा। उसका एक मन्त्री धार्मिक और बुद्धिमान् था। बह सोचने लगा कि कौन सा पेसा उपाय करूं कि सुल्तान को दया लगे। २-एक दिन मन्त्री ने सुल्तान से कहा, "मैंने लड़कपन में एक पीर की सेवा की थी। पीर ने प्रल होकर मुझे चिड़ियों की बोली सिवा दी है।" ३-दूसरे दिन सुल्तान और मन्त्री दोनों साथ साथ शिकार को गये। साँझ को घर लौटे आते थे कि राह में एक पेड़ की डली पर दो उल्लू आपस में बात करते हुए देख पड़े। ४---सुल्तान ने मन्त्री से कहा, "कल तुम ने कहा था कि हम चिड़ियों की बोली जानते हैं, बताओ, तो यह उल्लू क्या बात कर रहे हैं। ५--मन्त्री ने थोड़ी देर तक कान लगा कर उल्लुओं की बात सुनी, फिर बोला, "बादशाह सलामत इन की बातें आपके सुनने के योग्य नहीं हैं। मेरा अपराध क्षमा कीजिये मैं भाप से कुछ कह नहीं सकता।"