पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

६--महमूद ने कहा "नहीं हमें बता दो, हम सुनना चाहते हैं। रोम तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा।" e-मनी बोला, “इजूर, इन लुओं में एक को एक लड़की है और दूसरे को एक लड़का है। दोनों उनके व्याह की बातें कर रहे हैं। लड़के का बाप लडकीबाले से कहता है, "तुम अपनी बेटी मेरे बेटे के साथ व्याहना चाहते हो तो दहेज में पचाल उजाड़ गाँश्च दो।" इसपर लड़की का बाप कहता है, “अज्जी उजड़े गाँवों भी क्या क्रमी ; जब तक ईश्वर की ध्या ने मुख्लान महमूद सलामत हैं। तुम पचामल गाँव मांगते हो मैं पांच सौ देता है। ८--मुल्तान इसको सुनकर बहुत लजाया और उजाड़ने का काम बन्द कर दिया। लोग अपने अपने गाँव लौट आये। चतुर मन्त्री को यह जान कर बड़ा सुख हुआ कि उसकी चालसे राजा और प्रजा दोनों का कल्याण हो गया। १४-महम्मद गोरी और पृथ्वीराज । (पिरथीराय) १-जिस घंश के बादशाह सुचुलगील और महमूद ग़ज़नी में राज करते थे उसके थोड़े ही दिनों में अन्त हो गया और एक दूसरे वंश के बादशाह जो ग़ोर देश के रहनेवाले थे