पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/५७

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दिल्ली और और दोनों का स्वामी हो गया। वह बड़ा बीर और सुन्दर था और तोमर और चौहान दोनों कुल के राजपूत उस को बहुत मानते थे। २२-- भोज का राजा जयनन्द उस से बहुत बड़ा था। जब उसके नाना ने उसे अपनी गाड़ी नदी तो उसने बहुत बुरा मामा बह समानता था कि राज मुश्री को मिलना चाहिये। इस पर राठौरों और चौहानों में बड़ी अमन हो गई, जिस का परिणाम यह हुआ कि दोनों कुल जह हो गये। -दिल्ली के हासन पर, पृथ्वीराज को बैठे बलुत दिन्न न हुए थे कि महम्मद् भारी ने एक बड़ी सेना लेकर हिन्दुस्थान पर चढ़ाई कर दी। पृथ्वीराज ने और उनकी राजपूत सेना ने दिल्ली के उत्तर थानेश्वर के मैदान में जहाँ बड़ी बड़ी लड़ाइयों हो चुकी थीं तराउड़ी के पास उसको परास्त कर दिया। यह बड़ी लड़ाई आज ले ७०० बरस हुए ११६१ ई० में हुई थी। इस में बहुत से अफगान मारे गये। महम्मद गोरी भी घायल हो गया और वह और उसके साथी जो बचे थे सिन्धु पार अपने देश को भाग गये। ७-इसके पीछे राजा जयचन्द ने दूर दूर यह घोषणा कर दी कि मैं भारत के राजपूत राजाओं का राजाधिराज उसने बार्यों के समय के क्षत्रिओं की रीति से अश्वमेध यज्ञ ठाना और सारे राजपूत राजाओं को अपने