पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/६२

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१५-सभामण्डप मे बड़ी नाड़बड़ मच गई। जयचन्द और राठौर वीरों ने अपने घोड़े मंगवाये और उनके पीछे दौड़े। पर चौहान बड़ी दूर निकल गये थे। चन्द कवि लिखते हैं कि पांच दिन तक राह में लड़ाई होती रही और दोनों ओर के कई सामन्त मारे गये। थ्वीरास अपनी दुलहिन्द के साथ दिल्ली पहुंच गया और वहाँ दोनों का बडी धूम से हिवाइ हुआ। १५----राजपूतों की हार। १---कन्नौज के राजा जयचन्द ने जब यह जाना कि पृथ्वीराज को बल से हरा नहीं सकते तो वह क्रोध से जल भरा और उसने ऐसा नीच काम किया जो राजपूत वीर के लिये महा अयोग्य था। उसने महम्मद गोरी से कहला भेजा कि आप एक बार दिल्ली पर फिर चढ़ाई करे और मैं मदद करूंगा। शहाबुद्दीन अपनी हार के पीछे पृथ्वीराज। चुप चाप न बैठा था। उसने अपने सरदारों और सेनापतियों को बहुत ही झिड़का था जो तराउड़ी के मैदान से भाग