पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/६४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जयच्छन्य यह समाचार पाकर बहुत प्रसा हुआ पर उसका सुख थोड़े ही दिनों तक था! दुसरे साल महम्पद गोरी फिर भारत में आया और अब की बार कझौज पर चढ़ दौड़ा। जयचन्द उसका सामना करने को जला पर उसके दिल्ली और अजमेर के राजपूत न थे जो उसकी सहायता करते। अफेले पठानों से लड़ने की शक्ति न थी। ४-जयचन्ह भी हार गया और मारा गया। मुसलमानों में कन्नौज और थनारस दोनों को लूटा और एक हजार मन्दिर गिरा दिये। लूट का सोना और चाँदी ४००० जरों पर लाद कर अनिल पहुंचाया गया। ५-इसी रीति से राजपूत राज्यों का नाश हुआ और १२०० ई० से अफगान बादशाहों ने हिन्दुस्तान का एक एक राज अपने अधीन कर लिया। राजपूत राजा लोग मिले रहते और एक दूसरे की सहायता करते तो आप भी बने रहते और उनका राज्य भी मना रहता। १६--तुर्की और पठान बादशाह । १-महम्मद गोरी ने दिल्ली के चौहान राजा पृथ्वीराज, कीज के राठौर राजा जयचन्द और हिन्दुस्तान के कई राजपूत राजाओं को परास्त किया और उनके नगर छीन लिये पर यह देश में न ठहरा। उसने पंजाब में अपने