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कि उसे मौत ने आ घेरा। उसकी प्यारी बेटी ने बड़ा शोक किया। अलतमश की इच्छा थी कि रजिया सिंहासन पर बैठे पर उसके मरने पर उसका एक लड़का फ़ीरोज़ सिंहासन पर बैठ गया। उसका शासन ऐसा बुरा था कि छः ही महीने में सरदारों ने उसे तख्त से उतार दिया और रजिया से कहा कि आप तख्त पर बैठे। सरदार जानते ही थे कि जब अलतमा बाहर रहा था तो रज़िया ने कैसा अच्छा शासन किया था।

८—रज़िया ने दो बरस तक निर्विघ्न राज किया। वह बादशाही कपड़े पहनती और नित्य सिंहासन पर बैठती थी। वह मरदाने कपड़े पहनती सिर पर मुकुट रखती मुॅह खोले रहती और सब सरदारों के आगे हाथी पर सवार चलती थी। यह सारी नालिश फरियाद आप सुनती और न्याय करती थी। वह सारा राजकाज आप देखती थी सब को अपने कानून के अनुसार चलाती और एक उदार रानी की भाँति शासन करती थी।

९—कुछ दिन पीछे उसने अपने ब्याह का अवसर जाना और एक वीर और सुन्दर सरदार जो उसके रिसाले का सेनापति था और जिसका नाम याकूत था उसके प्रेम कर अधिकारी बन गया वह उसके योग्य था पर उसमें दोष यह था कि वह हबशी था और किसी समय में दास रह चुका था। अभिमानी तुकी सरदार यह चाहते थे कि मलका