पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/७४

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शाही - खजाने का धना लिया। वह एक गरीब आदमी की तरह रहता था और शिक्षा नकल करके अपने लिये रुपया कमाता रहा। ४-वह बड़े कोपल चित्तका था। यकदिन उस के पास उसके दरबार का एक बड़ा सरदार अाया और नसिरुद्दीन ने अपने कुरान की लकल उसे दिखाई। सरदार ने उसको एक शब्द दिखा कर कहा कि यह शब्द अशुद्ध लिया है। नलिभद्दीन ने उसको देखा और मुस्करा कर कृतता प्रगट की जिससे यह जाना जाय कि उसने बुरा न माना और उस पर नलिरुद्दीन। कुण्डल कर दिया। अब वह सरदार चला गया उसने उस कुण्डल को मिटा दिया। किसी ने उससे पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया। उसने उत्तर दिया कि शब्द ठीक लिया है। पर मैं अपचे मित्र का दिल दुखाना और उसको लजित करना नहीं चाहता था इसी से उससे यह नहीं कहा कि तुम ठीक नहीं कहते । ५-उन दिनों बादशाहों के बहुत सी बेगमें होती थीं पर उसको एक ही ली थी जिसका नाम सलीमा था। वह