पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/७७

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) २. देर में हर साल से भर गया। कुछ लोग बाले थे, कुछ जाते थे, कुछ पूजा कर रहे थे, कुछ माला अप रहे थे, कुछ पानी में खड़े होकर raaneer की पूजा कर रहे थे, कुछ लोग भजन कर रहे थे और कुतेरे सूर्य को अर्घ्य देते थे। ६--रानी और उसकी सहेलियों गदा जी मैं नहाई । नाक हवा कर माँख बन्द करके उन्हों ने ऐसी बुड़की लगाई कि पानी में बिलकुल ढक लिया। ऐसा करने से वह समती थी कि उनके पापों का नाश होगा। ७- रानी को नहाते अछुतों में देखा। उनमें से किसी ने अवध के सूबेदार से जो पामी किनारे पर डेरा डाले पड़ा था कह दिया कि कोई बड़े घराने की नी नहाने आई है पर यह नहीं जानते कि वह कौन हैं। उसने अपनी लड़कियों को जाँच करने के लिये भेजा। उन्होंने उनसे बातों बातों जान लिया कि यह अरगल की रानी है और अमावस्या नहाने आई है। ८--सूचदार बड़ा प्रसन्न हुआ और अबलर जान कर अपने आदमी ले कर उनको पकड़ने चला। रानी घर की ओर चल चुकी थी। थोड़े ही देर में राह पर उसको लोगों ने घेर लिया पर उसने सची राजपूतनी की भाँति कुछ भय न दिखाया। उसने निडर होकर बेसूदार की ओर देखा और कहा “अरगल के राजा ने तुझ को हराया है