पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/८५

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२१---चित्तौर की रानी पद्मिली। "अलाउद्दीन ने कैसे दपेयर में उसका रूप देखा।" १--लगभग छ: सौ बारस हुए जन अलाउद्दीन दिल्ली का बादशाह था। मेवाड़ की राजधानी चित्तौर में भीमली या भीमसेन नाम राजपूत राजा राज करता था। उसकी रानी पहिनी परम सुन्दरी बड़ी बुद्धिमतो और वीरा थी। उसकी सुन्दता सारे देश में प्रसिद्ध हो गई थी और अलाउद्दीन के कानों तक मो पहुंची। हम पहिले कह चुके हैं कि अलाउद्दीन कमला देवी के साथ अपना विवाह कर चुका था। इसके सिवाय उसके और भी देगमें थीं। तिसपर भी उसकी लालसा कि पमिनी को भी अपनी बेगम बना लें। इस प्रयोजन से उसने एक बड़ी सेना लेकर चित्तौर पर चढ़ाई कर दी। २-धीर राजपूत बड़ी बहादुरी से लड़े और खिलजी बादशाह से वित्तौर गढ़ न टूट सका। तब अलाउद्दीन ने कहला भेजा कि "हम केवल पधिनी को देखना चाहते हैं। जो राजपूत हमारा कहना मान लेंगे तो हम दिल्ली लौट जायंगे।" ३-भीमसी बोला कि "बादशाह मेरी रानी को नहीं देख सकता। हाँ वह चाहे तो पशिनी का रूप दर्पण में दिखा दिया जाय ; बादशाह माने तो दो एक सिपाही लेकर चला आये।" ४-अलाउद्दीन मान गया। वह जानता था कि राजपूत राजा अपनी बात का सच्चा है और उससे न बोलेगा। यह