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२२-~भीमसी का सपना । स्थालाहीमा का चित्तौर ले लेना।


अब हम तुमको एक बड़े दुख की कहानी सुनाते हैं।

अलासहीन जिस काम को उठाता था उसको निरास होकर अधूरा छोड़नेवाला मनुष्य न था। दो एक बरा पीछे वह एक बड़ी सरफ़ग़ानी और तुर्की सेना लेकर जिस में कवच पहिने सिपाही थे चितौर की ओर चला। इस सेना ने काली शक्षा की भाँति चित्तौर को घेर लिया। २-राणा भीमसी के बहुत से आदमी पहिली लड़ाई में काम आ चुके थे। जो राजपूत बने थे बड़े वीर थे पर इस बड़ी तुर्की सेना के बराबरी के न थे। छः महीने तक लड़ाई होती रही। नित राजपूत सरते भये पर तुर्की सेना में दिल्ली से आदमी पाते गये और वह बढ़ती गई। ३-एक रात भीमसी दिन सर की लड़ाई से थका हुआ सो रहा था। उसको एक बड़ा भयानक सपना दिखाई दिया। उसने वह शब्द सुने “मैं सूती "। राजा राजपूतों को देवी काली भवानी को देख कर डर के मारे काँपने लगा और बोला 'लया हमारे आठ हजार आदमी जो मारे गये हैं उनले तुम्हारा पेट नहीं भरा।" देवी ने कहा "हमें राजा चाहिये। बारह राजा तुम्हारे कुल के न मारे जायंगे तो मैं चित्तौर छोड़ दूंगी और तुम्हारे कुल का नाश हो जायगा"