पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/९१

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दुसरी रात फिर भीमसी को बही सपना हुआ। तब उसले अपने सरदारों को बुलाया और उनले सदा व्यौरा कहा। सन्ध ने काली देवी का कहना मानना निश्चय कर लिया। ---राजा के बारह बेटे थे। दूसरे ही दिन स्तब हो बड़ा लड़का राजा बनाया गया वह तीन दिन राज करके लड़ाई में मारा गया। ऐसे ही साद बारी बारी सा बनाये गये और सब तीसरे दिन तुरकी सेना में वीरता से लड़ कर काम आये। अव सबसे छोटा लड़का था। रामे तब कहा " मैं अपने को चढ़ाता हूँ। भवानी भी सन्तुष्ट हो जाएगी। ५.श्रीमाली ने तप थोड़े से बड़े वीर राजपूत सुन लिये और अपने छोटे बेटे के साथ कर कहा कि "तुम तुकी सेना को कारते हुए सैलवाड़ा चले जाओ। वहाँ मेवार में राज करो जब तक चित्तौर फिर आने का अवसर न रिले" राजकुमार अपने बाप के साथ लड़ाई में लड़ कर भरला चाहता था पर भीमही न माना और उसको समझाया कि हमारा श द नाश हो, इस लिये तुमको जीता रहना चाहिये। अन्त में राजकुमार ने पिता की आज्ञा मान ली। वह राजपूतों के साथ तुकों को काटता हुआ निकल गया और कुछ काल पीछे उसके वंश के लोग चित्तौर में लाकर फिर राज करने लगे। ६---जब भीमसी ने जाना कि उसका बेटा निकल गया