पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/९२

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चले। तब वह और उसके बचे खुचे राजपूत अपनी पुरानी चाल एक बड़ी आग जलाई। सब नियां पशिनो के साथ उसी में कूद पड़ी और जल कर राख हो गई। मर्द पीले वस्त्र पहिन और हथियार लेकर निकल पड़े और बड़ी वीरता से लड़ कर जितने तुर्कों को मार सके मारा और सब कट कट मर गये। अलाउद्दीन नगर में पैठा तो वहाँ उस ने किसी को जीतान पाया। २३---तैमूरलङ्ग । दिल्ली की लूट। १-पिछले अफवान बादशाहों के समय में उत्तर का एक बड़ा सरदार तुको और तातारों की एक बड़ो सेना लेकर भारत पर चढ़ आया। यह सेना मध्य-पशिया से थाई थी और इसके सरदार ने सारा तुर्किस्तान और बहुत से देश जीत लिये थे। २-इस सरदार का नाम तैमूरलङ्ग था। यह लङ्गड़ा था। इसी से इसको तैमूरलङ्ग या लङ्गड़ा तैमूर भी कहते हैं। इसको बड़ी मोटी मोटी उंगलियाँ और बड़ी लम्बी लम्बी टांगें थीं। इसका रंग गोरा, डील डोल लम्बा और उसकी आंखें चमकीली थीं, जो और मनुष्य के मानो आरपार देखती जान पड़ती थीं। इसका हृदय पत्थर का था।