पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/१२९

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प्रस्फोट __"जिन सैनिकों ने अंग्रेजी शासन को आजतक फैलाया है है और असे बनाय रखने मे बल लगाया अन्ही सैनिकों की तलवारें आज अंग्रेजों की गर्दनोंपर पड रही थीं। जिस दृश्य से छक्के छूट कर अंग्रेजी शासन मेरठ से भाग कर दिल्ली पहुंचा तब वहाँ वादशाह ने अंक हाथ से अस का गला घोंट कर है दूसरे से अस का राजमुकुट भी छिन लिया ! जिस के मुँह है पर मेरठ की स्त्रियाँ भी भरे चौराहे में थूकी ओर जिस के है राजमुकुट आदि अलंकार लोगों ने बलपूर्वक खींच लिये, वह है शस्त्रों से आहत, लहलहान अंग्रेजी शासन, अपने अंग्रेजी खून से लथपथ, बाल पकड तथा हड्डियों की माला गले में है इडाल, कराहती, कसकती, कलकत्ते को बल देने के लिओ नेचैन इदिखायी देती थी !"