पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/१६०

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प्रस्फोट] [द्वितीय खड दासनापर अपनी तलवारने प्रखर प्रहार कर रहे थे। और 'इसी असाधारण देशभक्ति, स्वातत्र्य-प्रेम और अग्रेजोंसे तीखी द्वेषभावनासे, मेरठकी महिलाओके उन शब्दोंने उम धूल चाटते मिहासनको फिरसे ठीक स्थानपर बिठाया। 'ये पाँच दिन, सचमुच, भारतीय इतिहासमै मस्मरणीय रहेगे। क्यों कि इन्ही पाँच दिनोम गजनीक महमूढकी चदाईसे चले आये हिंदु-मुत्लीमके विषाक्त अगडोको, कुछ समयतक क्यों न हो, गाड दिया था। पहले पहल इस राष्ट्रने तब घोषणा की कि, “अबसे हिंदु और मुस्लिम आपसी दुश्मन नहीं है। विनित और विजेता का उनका सबध समाप्त हो चुका है, आजसे हिदु मुसलमान भाई भाई है। जिस भारतमाताको मुसलमानोंके चगुलसे श्री शिवाजी महाराज, महाराणाप्रताप, छत्रसाल, प्रतापादित्य, गुरु गोविटसिंग एव महादजी गिदेने मुक्त किया वही भारतमाता उस दिन अपने वटोंको आदेश देती थी कि "बच्चो । आनमे तुम भाई भाई हैं और मैं तुम दोनोंकी मैय्या है।"