पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/२१०

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प्रस्फोट] १७२ [द्वितीय खड। यदि इस युद्ध में हिंदु-मुसलमानोंमें सहयोग हो और स्वदेश और स्वाधीनताके लिए शत्रुको रोके तो उनकी देशभक्तिके गौरवके हेत गोवधको मनाही कर दी जायगी। इस पवित्र धर्मयुद्धमे जो स्वयं लडेगा, तथा जो लडनेवालेकी सहायता पैसेसे करेगा उसे इस देशमें स्वातन्य और परलोकमे मोक्ष प्राप्त होगा! किन्तु, यदि कोई स्वदेशी युद्धका विरोध करेगा तो वह अपनेही पॉवपर कुल्हाडी मारेगा और आत्महत्याके पापसे नर्कमे जायगा ।" नये प्राप्त स्वराज्यका अनुशासनयुक्त प्रबंध कर उसकी रक्षा करनेके लिए रुहेलखण्डको अवसर देकर अब हम काशी और प्रयागकी ओर ध्यान देगे। Atu. MSAR SHAIR Samme K RW- MTAIMES