पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/२१४

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प्रस्फोट] १७६ [द्वितीय वंड हानेकी सौगध उसी दिन ली थी ? हाँ, ले. इचिन्मन और बार्टर साजंट लुइसके दो गरीर तो हमारी गोलियोके निगान अवश्य बनने चाहिये । स! अब दूसरे सब यहाँसे भलेही भाग जायें। यदि भागनेम उनके पीव मारो हो जाते हो तो गाडियोम भी जा सकते है। किन्तु अपमर और मेम कुडवुडाने लगी कि अत्र उन्हे गाडिया कोन देने लगा है? हिदी सिपाहियोंने अपनी उदारताके ज्वारम कहा, "चिना न करो, हम तुम्हें सवारियोका प्रबंध कर देते है। और सचमुच गाडियाँ आयीं और अंग्रेजोंकी हथकडियों निकालकर उन्हें गाडियों में बिठा दिया और रक्षा लिए साथ कुछ बुडसवार भी कर दिये। इस तरह अपने अण्डे तथा सत्ताक सब मानचिन्ह साथ लेकर यह टोली बनारसको चली। इधर मात लाखका कोप, गोलाबारूटका अवार, ब्रिटिश गामनकी शान दिखानेवाला जेल, कार्यालय, सडके, बारिक, सबकं सब सिपाहियों के हाथ लगे। दूसरे दिनके उदयपर सूरज भगवान्ने जब ऑखे खोली तो अपनी एक रातकी अनुपस्थितिम, शासनमें इतनी बड़ी शुभ काति देख, आनंदमे, आजमगढपर गर्वमे लहरानेवाले कातिके नूतन झण्डेपर अपनी सुनहली किरणें उडेल दी। जो आजतक अपने मनमदिरमे पहगता था, वह कातिका झण्डा आज अभिमान अपने मस्तकपर प्रत्यक्ष लहगता देख, विजयानद के जोसमे सिपाहियोने एक बहुत बडा जुलूस निकाला और रणसगीतके सुरोंपर क्रातिध्वजके चौफेर नाचते हुए वे फैजाबादको चले। ___ आजमगढ स्वतत्र होनेके समाचार बनारस पहुँचे; किन्त यहाँके अंग्रजोंको आशा थी कि वहाँ वैसा धोखा कुछ न होगा। मेरठ के बलवेकी खबर पातेही पनाबसे सर जॉन लॉरेन्सने तथा कलकत्तेस लॉर्ड कॅनिंगने कातिके प्रमुख केन्द्रोको अधिकसे अधिक गोरी पलटनें भेजने की तनतोड चेष्टा की । दिल्लीके मुहासरेंमें उत्तरकी सब सेना अटक पड़ी थी, जिससे दिल्लीके दक्षिण विभागकी बडी दयनीय दगा थी। उसीसे वहॉके अंग्रेज अफसर गिडगिडाकर प्रार्थना करते थे “ कृपया हमारी सहायताके लिए कुछ गोरे लोगोंको भेजो।" हम पहले बता चुके है, कि तब तक लॉर्ड कॅनिगने बम्बई, मद्रास तथा रगूनकी गोरी पलटनोंकों कैसे मगवाया था तथा चीनकी चढाई की सेनाको भारतहीमें कैसे रोक रखा था। इसी