पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/२२१

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अध्याय ७ वॉ] १८३ [काशी और प्रयाग गॉव तहसनहस कर दिये गये। आगकी पेचदार लपटोसे किसोंनोकी गर्दने जकडकर, ऊपरसे तोपखानेको तय्यार रखनेसे, क्या मजाल, कि कोई चे तक करे। 'काले नेटिवोंको भस्म कर डालनेमें क्या देरी? समूचे गॉवको आग लगाकर उसमें सभी जीवोंको एक साथ जला देनेका कार्यक्रम कई अग्रेजोंको इतना मनोरजक मालूम होता, कि वे इसके विनोदपूर्ण वर्णन लिखकर इलैडके अपने नातेदारोकों भेजते। इस सर्वदहनका काम इतनी सफाईसे तथा झटपट होता, कि देहातियोको उससे बाहर पडनेका कोई अवसरही न मिलने पाता ! गरीब किसान, विद्वान् ब्राह्मण, दीन मुसलमान, पाठशालाके लडके, नन्हे मुन्नोंको अचल देती हुई स्त्रियाँ, मासूम लड़कियों, बुढे, अधे, लूले गोरू जानवर सभी एकसाथ आगकी बलि बनते । बुढापेके कारण एक डग भरना जिन्हें दूभर था, वे स्त्री पुरुष बिस्तरेहीमे जलकर खाक हो जाते और इस सर्वदाहसे भी भागनेमे कुछ सफलता कोई प्राप्त करे तो? तो- एक अंग्रेज अपने पत्रमे लिखता है:--.-" हम आदमियोंसे भरे बडे गॉवको जला देते: चारों ओरसे गॉवको घेरे हुए हम बैठ जाते और जब कोई देहाती चीखता-चिल्लाता आगकी लपटसे बाहर आता तो उसे हम गोलियोंसे छलनी बना देते!"* ___ यह शायद, इस तरह भुना हुआ, एकाध गॉव होगा? प्रातके 'भिन्न भिन्न हिस्सों में गॉव जला देनेको कई टोलियोको भेजा गया था। इन टोलियोंके कई अफसरोसे एक अधिकारी, कई गॉवोंको जलाने के दौरोंमें से एक दौरेके बारेमें लिखता है “ आपको सतोष होगा, कि हमने कुल बीस देहातोंको जलाकर भस्म कर दिया है।" ध्यान रहे, उपुर्यक्त विवरण उन इतिहासकारोके प्रथोमें इधर उधर छूट गये उल्लेखोंका सक्षिप्त रूप है, जो स्पष्टरूपसे कहते है, "जनरल नीलने जो बदला लिया उसके बारेमें कुछ न लिखना ही अच्छा है।" बस ! अपनी ओरसे एकाध शब्द इसमे जोडना तो अग्रेजोंके इस अमानुष, असभ्य करताके नगे चित्रको बिगाडना होगा! और इसलिए

  • चार्लस् बॉल कृत इंडियन म्यूटिनी खण्ड १, पृ. २४३.४४