पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/२५

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आभार

श्री. सावरकरजीने अपने अनूठे ग्रथ का हिंदी संस्करण प्रकाशित करन का गौरव हमे प्रदान किया है, अिसलिए हम आप के अत्यंत आभारी हैं।

हिन्दी में प्रकाशन करने का यह हमारा पहला अवसर है। यदि हमारे अिस साइस का अच्छा स्वागत हिन्दी संसार करेगा, तो आगामी प्रकाशन के लिमे हम उउत्साहित होगे!

बम्बई सरकारने कागज की सुविधा कर दी, हम उसे धन्यवाद देते हैं। श्री. ग. र. वैशंपायनजी के तो हम अत्यंत ऋणी है। आप के अनथक। परिश्रम ही से हम यह ग्रंथ पाठकों के करकमलों में रख पाये हैं।

अकथनीय महँगी, निपुण कर्मचारियों की कमी, मुद्रणालयों की अडचनें कागज की असुविधा आदि सैंकडों अडचनों से सामना करने पर अब यह ग्रंथ प्रकाशित हुआ है। हमारे परिश्रम को सफल बनाना अब पाठकों की रसिकता पर निर्भर है।

इस ग्रंथ में रूसी चित्रकार का १८५७ में बनाया हुआ चित्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। वह केवल अिसी संस्करण में है। श्रीमंत नानासाहन का "चित्र भी समकालीन होने से महत्त्वपूर्ण है, जो हमें श्री. वि. मा. देशमुख वकील (पुणे) के दुर्लभ संग्रह से मिला है। हम उन के आभारी हैं! हमारे भाई , श्री. र. श्री. जोगलेकरजी की भी अितनी सहायता हुी है, कि उनके आभार मानना आवश्यकही नहीं, हमारा कर्तव्य है।

'अग्रणी ' मुद्रणालयने जो सहयोग दिया उस के लिए धन्यवाद। चित्रकार श्री. देशपांडेजी तथा श्री. केलकर के भी हम ऋणी हैं।