पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/२६३

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अध्याय ८ वॉ] २२३ [कानपुर और झॉसी सारी गगा लाल लाल हो गयी। पानीसे सिर ऊँचा होतेही कहीसे गोली आती! पानीमें इवे रहें तो दम घुट जाता। श्री 'हरका कोप इस स्पमें प्रकट हुआ! पलासीकी शतसवत्सरीका समारोह भी वैसाही भयकर था। __ सवेरे १० बजे थे। कहते है, नानासाहब अपने महलमं विचारमग्न चुपचाप चहलकदमी कर रहे थे। क्या ही आश्चर्य ? उधर सौ वर्षोके नीच कर्मोका बदला लिया जा रहा था. इधर राजमहलमे नानासाहब अस्वस्थ मनसे विचार मन थे। ऐसे प्रसग इतिहासमै एक नये युगको लानेवाले होते है। ये प्रसग विगेप कालखण्ड की समातिक निदर्शक अतिम आघात होते है । एक युगका सक्षेप साधनेवाले येही प्रसग । नानासाहब किस विचारमें मग्न थे यह तो राम जाने ! हो, उन्हें अधिक समयतक सोचनेका अवकाग न मिला । यो कि, एक सवार टोडता आया; उसने सतीचौरा घाटपर सिपाहियोके उपस्थित अविचारी हत्याकाण्ड समाचार दिये। नानासाहबने कहा, 'औरतो और बच्चाको मत सताओ' और उसी सवारको इस सदेशके साथ भगाया, कि अग्रेज पुरुपोकी बात दूसरी है, किन्तु औरतों और बच्चोंको रच भी कष्ट न होने पावे | सिपाहियोको जताना कि यह मेरी आजा है। __ व्यान रहे, नानासाहबकी आजाका दूसग भाग नीलसाहबके ऐसेही प्रसगकी आज्ञामें बिलकुल नहीं मिलता। अस्तु । नानासाहबकी आज्ञाका सदेश लेकर सवार आया तब सिपाही सहारके काममे वेभान हो गये थे। कुछ गोरे, कलामडी खाती हुई जलती नावपर, जल मर रहे थे; कुछ तैर कर किनारा पकडनेका प्रयत्न कर रहे थे। क्रोधसे सतप्त सिपाहीभी गर्जना कर पानीमे कूद कर, शिकारी कुत्तेकी तरह उनका पीछा कर रहे थे । दातोंमे तलवार और हाथमे चक (रिवॉलवार) थामे सिपाही पानीमे आखेट खेल रहे थे। जनरल व्हीलर तो पहले झटकेमें मारा गया। हेंडरसान खत्म हुआ। अब मरे हुओंसे जीवितोंकी तालिका ___ * लगभग सभी इतिहासकारोंका एकमत है, कि नानासाहबको समाचार मिलतेही उन्होंने यह आशा जारी की थी!-फॉरेस्टस् स्टेट पेपर्स - के और मॅलेसन कृत 'म्यूटिनी' खण्ड २ पृ. २५८