पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/२६८

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प्रस्फोट] २२८ [द्वितीय खड raman Www.anndiwwwwwwwwwwwkarwa भी झाँसीमें वहीं किया। बचपनके समान क्रांतिके इस खेलमें भी इस उनके जोडकी श्रेष्ठ तथा तुल्यबल हरीफ बन रही थी। क्रातिके वह रक्तमेघोंसे कानपुरका आकाश ४ जूनको आरक्त हुआ, उसी दिन झॉसीकी महारानीकी बिजली कोधकर रणसंग्रामको सिद्ध हई। ४ जूनको झॉसीमे बलवा हुआ। इसके पहले ब्रिटिश कमिशनरके हाथ कुछ पत्र लगे थे जिससे यह मतलब निकाला गया,कि रानीके सेवकोंसे लक्ष्मणराव नामक कोई ब्राह्मण क्रातिकार्यका सगठन कर रहा है; और पूर्वप्रयोग ('रिहर्सल) के रूपमे कुछ प्रमुख सैनिक अफसरोंका काम तमाम करनेका उसका इरादा था। किन्तु इधर अग्रेज अफसर बलवा हो जाय तो क्या प्रबंध करना चाहिए, इसका मशविरा कर रहे थे उधर उसी दिन क्रातिकारियोंने किलेपर कब्जा जमा लिया। तब अग्रेजोंने शहरके किलेमें आसरा पाने को भागना शुरू किया। किन्तु कातिकारी उनके पहले वहाँ पहुँच गये और उस परभी दखल कर लिया। जूनको रिसालदार कालेखान तथा झॉसीके तहसीलदार महमद हुसेनने अन्य शूर सैनिकोंके साथ चढाई कर झॉसीके किलेपर स्वाधीनतका अण्डा लहराया। इधर अग्रेजोंने सफेत झण्डा ऊँचा कर शरणागतिकी याचना की । झॉसीके एक लब्धप्रतिष्ठ नागरिक साले मुहम्मदने यह आश्वासन दिया कि अंग्रेज बिनाशर्त शरण मॉगे तो उन्हें प्राणदान दिया जायगा । अंग्रे. जोने हथियार डाल दिये और तुरन्त किलेके द्वार खोल दिये गये। अंग्रेजोंके बाहर आतेही सिपाहियोंने 'मारो फिरंगीको' का हो हल्लामचाया। ८ जूनको एक बडा जुलूस शहरके सडकोसे निकाला गया, जिसमे बदी अंग्रेजोंको चलाया गया। एक सप्ताह पहले जो अग्रेज ऑसीमें ऊँचेसे ऊँचे अधिकारपद पर थे, उन्हींको आज गॉवमे बदी की दशामे धुमाया गया। जोगनबागके पास पहुँचनेपर सिपाहियोंने अपने सरदारसे पूछा 'रिसालदारसाहब, अब क्या आज्ञा है ? ' रिसालदारने आज्ञा दी " जिन फिरंगियोंने रानीको पदच्युत करनेके राजद्रोह तथा हमारे देशपर कब्जा जमानेका अपराध किया है, उन्हें बिलकुल क्षमा न की जाय, इसलिये स्त्रिया, पुरुष और बच्चे तीन पंक्तियोंमें अलग अलग खड़े कर दिये जायें; और जेलका दारोगा पुरुषोकी-पातीम-कमिशनरका सिर काट देगा, तब तुरन्त सभीको तलवारके घाट उतारा जाय।" थोडीही देरमे खूनकी नदी बहने