पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/२८९

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अध्याय ९ वा] २४७ [अवध इस तरह भडके हुए अवधने अग्रेजी शासनको कुचलते, पीटते और पीछा करते हुए लखनऊकी छोटीसी रेसिडेन्सीमे दी बना दिया ।* मा ___ * स. ३४ । रेड पम्पलेटका सुप्रसिद्ध लेखक लिखता है:-" समूचा अवध प्रात हमारे विरुद्ध हथियार सॅवार उठा था। केवल स्थायी सेनाके सैनिक ही नहीं, भूतपूर्व नवाबके ६० सहस्त्र सिपाही, जमींदार तथा उनके सिपाही और २५० किले, जिनमें बहुतेरे बडी तोपोंसे लैस थे, हमारे विरूद्ध थे। ईस्ट इंडिया कंपनीके राजके साथ लोगोने अपने पुराने राजाओं के शासनसे मिलाया और, लगभग एकमत होकर, अपनेवालोंको अच्छा घोषित किया। सेनासे पेनशन लिए हुए निवृत्त सैनिक प्रकट रूपसे हमारी निंदा कर बलवेमे शामिल हो गये है। "