पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/३०८

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प्रस्फोट] २६६ [द्वितीय खड जिसके देहातमें अभीतक मानवता, प्रेम, आदर तथा निरीह जानवरों और मानवोंके बारेमें दयाबुद्धिका वातावरण पूर्णरूपसे बना हुआ पाया जाता है, वह गरीब हिंदी मानव देहाती तथा उसके गॉवने १८५७के हत्याकाण्डमें हाथ बॅटाया हो, तो भारतीय राष्ट्रकी भलमनसाहत पर जराभी ऑच नहीं आती; वरच जिस नीच अत्याचारका अन्त कर देनेका प्रण उन्होंने किया था, उस अत्याचार तथा अन्याय ही का हीनतम रूप उससे नंगा हो जाता है ! मेकॉलेकी सुप्रसिद्ध व्याख्याका प्रमाण यहाँ ठीक मिल जाता है:- अत्याचार जितना भीषण हो, उसकी प्रतिक्रिया उतनीही भीषण होना अटल है।" ___ हॉ, और जिन अपराधोंको भारतके सिर मढा जाता है: उन अपराधोंकी छानबीन कर निर्णय देनेको कौन बैठेगा? तो गोरे! क्रांतिकारियोंके कृत्योंके लिए उन्हें दोषी ठहरानेका अधिकार, इस विस्तीर्ण वसधरामें, यदि किसीको संबसे अखीर पहुँचता हो तो-अंग्रेजोंको। भारतको एक दो हत्याकाण्डोके लिए अपराधी बतानेवाला इग्लैड होता है कौन ? वह, जिसने 'नील 'को पैदा किया ? या, वह, जिसने निष्पाप बालबच्चोंसे भरे गॉव के गॉव तलवारसे उजाड तथा आगमें भुनाकर बीरान बना डाले ? या भारतके लिए लडे और मंगल पाडेकी वीर वृत्तीसे अभिभूत सूरमाओंको फांसी देनेकी सजा अधूरी सी मानकर उन्हें शूलीके साथ बॉधकर जला दिया, वह इग्लड ? या, वह जिसने निरीह देहातियोंको पकडकर टिकटीपर फॉसी दे, सगीनोंसे उनके शरीरकी छलनी कर, शिव, शिव ! जिसके केवल उच्चारणसे जीभ अपवित्र करनेकी अपेक्षा गाँववालोंने फॉसी चढना या जीवीत जलना खुशीसे मान लिया होता वह दण्ड-खून चूता हुआ गोमांस सगीनकी नोकसे उन गाँववालोंके मुंहमें लूंसा, वह इंग्लैड ? या, फर्रुखाबादके नवाबके बदनमें, फॉसीके तख्तेपर खडा करनेके पहले, सूअरकी चरबी चोपडनेकी निर्लज आज्ञा, सिपहसालारके हुक्मके बावजूद जिस इग्लैडने दी वह ?* या इस्लामके बदेको कत्ल करनेके पहले उसे

  • फोस् मिचेल कृत 'रेमिनिसेन्सिस'