पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/३३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

अमिप्रलय] २८८ तीसरा खंड wwwroom निदान ३ जुलाओ को तैयार हो गयी। अरे हाँ, कोजी सवाद लाया है, कि दिलीपर चढाी करने के झझटसे जनरल बख्तखाँ ने अन्हे बचाया है। क्यों कि, वह स्वयं अंग्रेजोंपर चला आ रहा है। ४ जुलाभी को बख्तखा ने फिरसे हमला किया और पीछे की ओर से खदेडते हुझे अग्रेजों को ठेठ अलीपुर तक धकेल दिया। अंग्रेज दिलीपर कब्जा जमाने को अितने अतावले हुमे थे, और अपनी सामर्थ्य का अन्हें जितना असीम आत्मविश्वास था कि जून की समाप्ति के पहलेही, दिलीके पतन की अफवाहे बम्बी , मद्रास तथा कलकत्तमें अड रही थीं। और सदाके समान अिन अफवाहों के बेबुनियादी होने का अनुभव हो जाता, तो भारतभर गोरे अक दूसरेसे पूछते, “वहाँ दिल्लीमें अंग्रेजी सेना क्या झाख मार रही है ? " जैसी अपकीर्ति तथा चिंता से बर्नार्ड को नींद हराम हो गयी थी। क्रांतिकारियों की अविरत चढाधियों से असे क्षण की भी फुर सद न थी, जिस से दिलीपर जोरदार आक्रमण करने की अस की आकांक्षा दिनोदिन ढीली पडती जाती थी । निदान, यह ब्रिटिश सेनानी बर्नार्ड असीम निराशा तथा चिंता से पिचककर । ५ जलाओ को हैजे का शिकार होकर मरा।। अंग्रेजों पर अिस संवाद से वज्राघात हुआ। दिल्ली में प्रवेश करने को बेचैन, आखिर कब में प्रवेश करनेवाला ब्रिटिशों का यह दूसरा सेनापति ! अब जनरल रीड सेनापति बना । यही वह अग्रेजों का ३ रा सेनापति ! जहाँ चढाभी की योजनाओं गढने ही में अंग्रेज सेनाधिकारी व्यस्त थे, वहाँ अस चढामी को प्रत्यक्ष कर दिखाने में दिल्ली के क्रांतिकारी सफल हुझे थे। सभी हमलों का वर्णन तो नहीं दिया जा सकता; किन्तु, हॉ, ९ जुलाजी तथा १४ जुलामी के हमलो का वर्णन करना चाहिये । क्यों कि अंग्रेज तथा क्रांतिकारियों का जीवट तथा पराक्रम की स्फूर्तिपद पराकाष्ठा अन दिनों दीख पड़ी। ९ जुलाश्री को अंग्रेजी रिसाला तितर-बितर हो कर भाग खडा हुआ; अन , की तोपों का मुंह भी मंद कर दिया गया। अक सूरमाने श्री. हिल को अस के घोडे के साथ धराशायी कर दिया । हिलने अपनी तलवार सवारी त्यों ही तीन सिपाही असपर टूट पडे । हिलने दो बार अपनी पिस्तौल से गोली चलाने