पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/३३८

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मनिमलय २९५ [ तीसरा खंड mommmmmmmmmmm रेनाड की सेना से मिली और अिस सम्मिलित सेनाने क्रांतिकारी सेनापर तोपें दागीं। क्रांतिकारियों का अक दस्ता रेनाड को रगडने के लिअ अस की सेना पर टूट पहा, किन्तु अन्हें पता चला कि हैवलॉक का तोपखाने तथा अस की सुसज्ज सेना से पाला पडा है । यह १२ जुलाबी की घटना है । जिस हालत में भी क्रांतिकारी डटकर लडे किन्तु अन्हें अपनी तो मैदान में छोड कर इट जाना पडा । हाँ, अंग्रेज अनका पीछा करने की हिम्मत न कर सके, तब अंग्रेजी सेना फतहपुर में घुसी 1 फतहपुर के क्रांतिकारियों का नेतृत्व अंग्रेजों के नौकरी में रहे डेप्युटी मजिस्ट्रेट हिकमतुलाने किया। फतहपुर में कमी अंग्रेज अफसर मारे गये थे। आज अंग्रेजी बदला अस शहर को चखाया जायगा। भूतपूर्व मजिस्ट्रेट शेरेर-जिसे पहले कातिकारियोंने तरस खाकर जीवित छोडा था, -- फिर से अपनी मॅजिस्ट्रेटी चलाने को सेना के साथ आया। पहले अपने माता दी कि सारा शहर सैनिक लूटें । जब निश्चय हुआ कि लूटने योग्य कोभी चीज शहर में नहीं बची, तब शहर में आग लगा देनेकी आशा हुी। और मिस आज्ञापर अमल करने का सम्मान सिक्खों को दिया गया। अंग्रेज सेना चली गयी और सिक्खोंने अपने हिस्से का गाँव जलानेका कर्तव्य पूरा कर अपना रास्ता पकडा। जिस प्रकार अंग्रेजोंने सारा फतहपुर जीवित जला दिया; वहाँ की आग की ज्वाला दूरतक फैली और आखिर कानपुर तक पहुंच गयीं। क्रांतिकारी दस्तों की हार तथा हॅवलॉक और रेनाड के फतहपुर गाँव जलाने का ब्योरेवार समाचार नानासाइब के पास पहुंचा तब कानपुर के सभी नेता क्रोध से जलने लगे । कानपुर पर चढ आनेवाली अंग्रेजी सेना रोकने के लिओ स्वयं नानासाइक के आधिपत्य में पांडू नदीपर सामना करने का निश्चय हुआ। मितने में खबर मिली कि अंग्रेजों से मिले कुछ देशद्रोहियों को पकड़ा गया है। * तब

  • सं. है... फतहपुर में नानासाहब के क्रांतिकारी दस्तों की हार होने के बाद कुछ नामी गुप्तचरों को नानासाहब के सामने पेश किया गया। बंदीगृह में पडी असहाय स्त्रियों ने दूर दूर के स्थानों को लिखे पत्र अन जासूसों के