पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/३५०

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अमिप्रलय ३०६ [तीसरा खंड के देहातियों ने जब देखा कि अपने भाअियों का पीछा फिरंगी कर रहा है, तो असे खूब हैरान करने लगे। कोसी असे अलटा ही रास्ता बताता, तो अपना टुआ वीचमें दौडा कर मार्ग में रुकावट पैदा करता। जिस परेशानी तथा निराशा से अबकर अस अग्रेज अधिकारीने बेतहाशा भागनेवाले अली करीम का पीछा करने का काम अपने हिंदी नौकर को सौंपा और वह स्वय खाली हाथ लौट आया। वह नौकर भी गोरोका कहर द्वेष करनेवाला होनेसे पीछा करने के बदले अपनासा मुंह बनाकर अपने स्वामी के पास चला आया। प्रान्त में घिस तरह गिरफ्तारियों का हंगामा जारी था; अिधर शहर के की प्रमुख नेताओं के नाम टेलर के पास पहुंच गये। असने सब को ओक साथ सहसा पकडने का दाव रचा ! गुप्त समितिओं की बैठकें जिन्हीं नेताओं के धर पर होती थीं। टेलर को जिस की पूरी कल्पना न थी, कि और कौन कौन अिन नेताओं के साथी थे तथा अन की क्या योजना थीं; फिर भी तीन मुल्लाओं के बारे में अस की निश्चिती हो गयी थी, कि वे अवश्य षडयंत्रकारी थे और अन्हे गिरफ्तार करना अत्यंत आवश्यक था। प्रकररूप से अन्हें पकडने से शायद वही असंतोष फूट पडेगा, जिसे दबाने का अिलाज वह कर रहा था। अिस डर से अस श्रीमानदार (1) अफसर ने अक अनोखी योजना बनायी। मेक दिन कुछ महत्त्व के राजनैतिक प्रश्नों पर परामर्ष करने के लिओ टेलरने शहर से कुछ चुने ढुझे लोगों को बुला भेजा। जब सब निर्मत्रित आ पहुंचे तब असने सिक्ख सैनिकों को वहाँ तैयार रखा; और बैठक समाप्त होनेपर जब निमंत्रित घर जानेवाले ही थे, तब टेलरने तीन मौलवियों को रोककर हँसते हँसते कहा, 'असी अशान्ति के दिनों में आप को खुला छोडना खतरनाक है । और अन्हें गिरफ्तार किया । अर्थात् टेलरने यह काम अंग्रेजों के कल्याण के लिअ किया था, तब अिस फुर्तीले अपाय पर, टेलर को हर तरफसे सराहा गया। अिस तरह खून की मेक बूंद भी न गिराते हु प्रमख हिंदी क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने के बाद, पटना में भी गिरफ्तारियाँ करने का निश्चय किया। अस की योजना यह थी, कि ये गिरफ्तारियों जितनी अचानक हो कि ।