पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/३६२

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अनिमलय ३१८. [तीसरा खंड जगदीशपुर के राजमहल में अपना डेरा डाला । अंग्रेजों ने राजमहल, हिंदु मदिर तथा अन्य निवासों को ध्वंस भले ही कर दिया; किन्तु मिन सब की “पवित्र मति कुंवरसिंह तो जितनी लडामियों के बाद भी अजिंक्य ही रहा। अपनी राजधानी की दशा देखकर कोसी दूसरा राजा होता तो वह दॉत में तिनका दबाये कभी का शरण में आया होता, किन्तु जगदीशपुर नरेश अिस मिट्टी का न बना था। जहॉ नरेश वहाँ जगदीशपुर यह थी अस की आन । तब नरशको छोड जगदीशपुर के मीट पत्थरों को लेकर क्या करें ? क्यों इक, जगदशिपुर असका घर न हो कर समरागण ही असका महल बना था। THAN EMAI