पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/४१२

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अग्निप्रलय] ३७० [ तीसरा खंड चाल थी। विडम ने व्यूह तोडने की तनतोड चेष्टा की; किन्तु तात्या की तोपें लगातार आग अगलती रही, जिस से विंडहॅम अक डग भी आगे घुप्त न पाया। और अंग्रेजी सेना पीछे हटने के आसार दिखायी पडे । बामें पासे की सेना अपनी तोपें मैदान में छोड कर पीछे हटी, यह देखते ही दाहिने पासे की सेना थोडी देर के बाद पीछे हट गयी । अंग्रेज पीछे हट रहे हैं यह देखकर सहसा क्रांतिकारियों का अर्धवृत्त पूरा घेरा बन गया। शाम के छः बजे तक अंग्रेजों का सफाया किया गया । हजारों तंबू तथा अन्य अपयुक्त अनगिनत सामग्री क्रांतिकारियों के हाथ लगी। आधा कानपुर तात्या टोपे के ताबे में आ गया था। अिस तरह, अिस साहसी और शूर मराठा सेनानी के गले में यह दूसरी विजयमाला पड़ी। कल की लडामी में असे अप्रत्यक्ष विजय मिली थी, किन्तु आज की विजय निश्चित,पत्यक्ष, अधिक ठोस थी । क्यों कि, . शत्रु को पूरी तरह हरा, असे भगा कर फिर सेक बार कानपुर पर दखल किया गया था। अंग्रेज अितिहासकार भी मानते हैं कि तात्या की क्षमता को अस के सैनिकों के अनुशासन का जोड मिल जाता तो शायद विडहम - को तात्या ने मटियामेट कर दिया होता। ____ और हॉ; अब तात्या की तोपों की धडधडाइट कॅम्बेल के कानों में पडी। तात्या मानता था, कि अस के कानपुर पहुंचने के बाद लखन के क्रांतिकारी कम से कम अक माईने तक कॅम्बेल को वहाँ फेसा पायेंगे। किन्तु अज्ञात कारणों से कम्बल लखनवियों को अचानक हरा सका; यह समाचार पाते ही तात्याने स्पष्टतया ताड लिया, कि अब कॅम्बेल अस पर चढ जायगा; और गंगा के दोनों किनारे से हैरान करेगा। तात्या कुछ चिंतित-सा हुआ। अब विंडहम ने अत्तेजित हो कर गॅवाया हुआ जश फिर से प्राप्त करने का निरधार किया। किन्तु अस की सेना थकी हुी थी; अिसलिओ रात में छापा मारने का अिरादा छोड, दूसरे दिन सबेरे चढाश्री करने का कार्यक्रम निश्चित हुआ। दूसरे दिन सबेरे से मुठभेडें शुरू हुीं; आज पीछे न हटते हुमे डट कर संगठित और जोरदार हमले कर क्रांतिकारियों पर वे टूट पडते थे।