पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/४१५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

अध्याय ६ वा] ३७३ तात्या टोपे की, जिस से क्रांतिकारी सेना ने अिसी ओर अपना बल केन्द्रित किया 1 कुछ समय के बाद ग्रेटहेडने क्रांतिकारियों के बीच में घुस कर मेक संतमेंत की भिडन्त की, जिससे क्रांतिकारी मानने लगे कि शत्रु का जोर बामें पासे तथा मध्य पर ही है। जिसी से अिन्हीं पर अन्हों ने अपना शक्तिसर्वस्व लगा दिया। अंग्रेजी तोपों की मार से असका बायाँ पासा जब तंग आ गया था, तब सेकाक अंग्रेज अपना रुख बदल कर दाहिने पासे पर झपटे। किन्तु दाहिने पासे पर नियुक्त गवालियर पलटन ने सिक्खों तथा अंग्रेजों पर भयकर अभिवर्षा की। पांडे ' सैनिकों की बदूकों की बाटें भी जारी थी। किन्तु सिक्खों ने दुगने वगसे चढाभी की और उनके पीछे पील के नेतृत्व में गोरे सैनिकों के दस्ते भी आ धमके। जिस दोहरे मार के सामने टिकना असम्भव मालूम होने से, गवालियारवाले पीछे हटने की सोचने लगे। यह ताडकर अंग्रेजों ने दुगने वेगसे आग अगलना शुरू किया और गवालियरवालों की हार हुी। अनकी सारी तोप अंग्रेजों ने छीन ली और कालपी के मार्ग में अनका गरम पीछा किया। जिस तरह क्रांतिकारियों के दाहिने पासे पर कॅम्बेल पूरी तरह सफल रहा । किन्तु वह जितने से सुस्तानेवाला न था। जिस प्रकार दाहिनी ओर कालपी के मार्ग पर रोक लगायी, असी तरह बायीं ओर बिठूर को जानेवाला मार्ग भी बंद कर, तात्या की सेना को घेर लेने का असका दॉव था। जिस लिओ असने ब्रह्मावर्त के मार्म पर मैन्सफील्ड को भेज दिया। अस दिन अपर्युक्त मेशियामी लोगों की क्षमता का सिद्धान्त आधा सच और आधा झूठ निकला । सेनाके मध्य पर ग्रेटहेडने जो संतमत का हमला किया था वह अितना हलका था, कि यदि असका डट कर मुकाबला किया जाता तो अक तरह से ग्रेट हेड पर अच्छी चपत पडती असे वह आयुभर न भूलता और अस दिन की वियज का रुझान ही बदल जाता। किन्तु अंग्रेजों के सीधे : ' इमले के आगे क्रातिकारी न टिक पाये, जिससे 'जोरदार धावा बोला और अशियाी दुम दबाकर भागा ' वाला सिद्धान्त सेना के मध्य में खरा अतरा। हॉ, बामें पासे पर अिस सिद्धान्त के ठीक विरुद्ध अनुभव मिला । क्यों कि, छुपे छुपे मॅन्सफील्ड चक्कर काट कर आ रहा है और अस के साथ भारी