पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/४१८

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E SNAIRE अध्याय ७ वाँ लखनथू का पतन तात्या टोपे की प्रगति की अमडती बाढ को, जिस तरह, कानपुर में रोककर. कम्बेलने प्रांत के अन्य विद्रोही गाँवों को जीतन का काम शुरू किया। मार्म में 'स्मशान-शान्ति ' का निर्माण करते हुअ सीटन अलीगढ पहुंचा था। तब अलीगढ से कानपुरतक के प्रदेश में असी तरह की 'शान्ति' स्थापित करने को वॉलपोल को कालपी के मार्ग में भेजा गया । वह कानपुर से अत्तर जायगा और सीटन अलीगढ से दक्खिन । और मैनपुरी में वे मिलेगे । अिस तरह जमुना के किनारे किनारे सारे दोआब पर फिरसे दखल कर लिया जायगा । साथ साथ कम्बल कानपुर से फतहगढ जायगा। यही थी योजना की रूपरेखा । यह माना गया था कि अंग्रेजी सेना दोआब के क्रांतिकारियों को पीछे दबाती हुश्री फतहगढ पहुँच जायगी । सो, निश्चय हुआ, कि अिस "मुहीम की आखिरी लडाभी फतहगढ के पास ली जाय, जहाँ वॉलपोल, सीटन, तथा कॅम्बेल-तीनों की सेना में अपना काम पूरा कर मिलनेवाली थीं। अिस योजना के अनुसार १८ दिसंबर को, अपनी सब तोपों और सेना के साथ, वॉलपोल कानपुर से अपर कालपी के मार्ग में चला। रास्ते में क्रांतिकारियों के फैले हुओ छापामार दस्तों से दो अक मुठभेडें करते हुझे, क्रूर बदला लेते हुओ, (-वह सुप्रसिद्ध और अपनी रीति का फिरंगी बदला,न्याय अन्याय