पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/४५१

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लिअे ही अुसने अपने चुनिन्दे वीरवरों को पुलपर डट जाने को कहा था । आज्ञा यह थी, वे वीरवर तबतक पुलपर लुगार्ड को रोके जबतक कि अन्य सब सेना-विभाग आजमगढ छोडकर अंग्रेजों की द्र्ष्टि बचाकर गाजीपुर के मार्गपर चल दें ।गाजीपुर पहुँचकर गगापार अेकबार हो जाय तो फिरसे यह शेर अपने जगदीशपूरके जंगलमें घुस जायगा और तब अंग्रेजोंको सब काम शुरुसे प्रारंभ करना होगा; क्यों कि, गत १२ महीनों में अुन्हों नें जो कुछ कमाया वह सब नष्ट हो जायगा ।

तानू नदीपर डटे हुअे वीर सैनिको । किन्तु, अिस सारी योजना की यशस्विता की कूंजी तुम्हारी वीरता है । शत्रुकी नजर से बाहर कुँवरसिंह सारी सेना के साथ, जबतक छटक न जाय तबतक लुगार्ड को पुलपर पग न धरने देना । तुम्हारे नेताने तुम्हे अिसी लिअे चुना है कि तुम किसी भी दशा में पीछे न हटोगे और अिस विश्र्वास को निबाहना तुम्हारी आन है! अेक भान, अेक ध्यान, अेक आन तुम्हारी हो-जबतक कुँवरसिंह अपनी सारी सेना के साथ शत्रु को झाँसा देकर निकल नही जाता तबतक पुल शत्रु के हाथ न जाय; तुममें से अन्तिम वीर जीवित हो तबतक अिस आनको निबाहना! अरे नहीं, वह आखरी सिपाही मारा जाय तो, उसी क्षण, अपनी साधना को पूरी करने के लिअे वह फिरसे जनम लेकर वहीं झूझता रहे! लुगार्ड ने छोटेसे क्रांतिकारी दस्तेपर तावडतोढ हमले किये किन्तु वह अेक क्षण भी पुलपर जम न सका । हर बार डटकर मुठभैड होती और हर बार अंग्रेजों को रुकना पडता । कुँवरसिंह के आजमगढ पहुँचने और गाजीपुर के मार्गपर चलने में सफल होने का अिशारा मिलने तक वे 'मृत्यु-दल' के वीरवर चप्पा चप्पा भूमिके लिअे लडते रहे । कर्नल मँलेसन कहता है:-"मँजे हुअे वीरों के समान अुन्होंने अिस नावों के पुल की रक्षा जीवट और निर्धार से की और अुनके साथी सुरक्षित स्थानमें पहुँचनेके लम्बे समय तक प्रतिकार कर वे हट गये । " अिस तरह अिस 'मृत्यु-दल' ने अपना मन्तव्य पूर्ण