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अध्याय ९ वॉ]
[मौलवी महमदशाह
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शत्रु की डाक काटो, रसद रोको और चौकियाँ तोड दो; अत्तके पडाव के आसपास मंडराते रहो; फिरंगी को चैन न लेने दो*, । मौलवी अहमदशाहने अिन्ही सब अपायों पर अमल किया । लखनअ होनेवाले ब्रिटिश सेनाविभाग के मुराग पर रह कर असने लखन से २९ मील के फासले पर बारी में अपना पडाव डाला। बेगम हजरतमहल छ: हजार सैनिकों के साथ बोतौली में डेरे डाले थी। अिन दोनों दुश्मनों का सफाया करने के अद्देश्य से ३००० सैनिक तथा प्रबल तोपखाना साथ लेकर छोप ग्रँट पहले बारी की खबर लेने चल पडा । मौलवीने बिटिश सेना का भेद जानने को अपने कुछ गुप्तचर भेजे थे। ये लोग असी रात को सीधे अंग्रेजों की छावनी में दाखिल हो गये । गौरे पहरेदारोंने रोका तब 'इम १२ लंबर पलटनवाले का बना कर आगे बढे । और, यह सच था कि वे १२ वीं पलटन के सैनिक थे। असी पलटन ने गत जुलाश्री में 'विद्रोह' कर अपने गोरे अधिकारियों को मार डाला था। ये लोग अिस. १२ वी पलटन के थे, वह गोरा पहरेदार क्या जाने ! ये गुप्तचर शान्त और निर्भीक हो कर चल रहे थे । अनका निश्चित अत्तर और निडर बरताव देख पहरेदारों का सदेह दूर हुआ और अन गुप्तचरों को आगे जाने दिया। सीधे छावनी के अदर जा, सब भेद जान, ये गुप्तचर अपने स्वामी के पास लौट गये । शत्रुकी योजना का पूरा पता मिल जाने पर मौलवीने आवश्यक प्रबंध किया और बारी से आगे चार मिलों पर होनेवाले अक गाँवपर कब्जा कर लिया। योजना यह थी कि पैदल सिपाही अिस गाँव में रह कर शत्रुका सामना करें और रिसाला छुपे रास्ते शत्रुकी पिछाडी पर हमला करे । मौलवी को विश्वास था, ब्रिटिश सेनापति किसी आशंको के बिना, दूसरे दिन सबेरे असी देहातमें आ जायगा । मॅलेसन कहता है-' मौलवी की यह योजना बडी चतुरतापूर्ण थी। अस की व्यूहरचना के ज्ञान का अिस से पता लग जाता है।'


  • रसेल कहता है ( डायरी पृ २७६ ). मिस घोषणापत्रने दूरंदाजी तथा चतुरता का परिचय दिया है और कितनी कठिनतम लडाी हमें लडनी है अिसकी सूचना मिल जाती है।