पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/५२९

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'अध्याय १ ला] ४८५ [सरसरी दृष्टिसे • निजामने क्रांतियत्नों के सिर पर ओले गिराये तो भी असके पडोसी जोइरापुरके हिंदु राजाने स्वातंत्र्य समर में अपने सब कुछ पर खेलने का 'प्रण किया । अस के अनुसार असने अरब, रुहेले और पठानों की सेना बना "ली । नानासाहब के क्रांतिदूतों ने आ कर असे पेशवा के पक्ष में लडने को •सिद्ध किया । रायचूर के हिंदु-मुसलमानोंने अस का समर्थन किया । अतावले लोगों के कहनेपर वह जब बलवा करने के लिओ सिद्ध न हुआ तब असे कायर कहने में भी वे न हिचकिचाये। आगे चल कर असने पेशवा के झण्डे के नीचे बलवा किया । अंग्रेज और निजाम दोनों ने अस पर चढाभी की। जब अिन दोनों के सामने सफल होने की आशा न रही, तब यह नौजवान राजा फरवरी ,१८५८ के आसपास कामेक भागानगर ही में चला गया ! बाजार में असे सालारजंग की आज्ञा से पकड कर अंग्रेजों को सौंप दिया गया। मेडोज टेलर के साथ बचपन से बहुत मेलमिलाप था; टेलर को वह 'अप्पा' कह कर बुलाता । सो; अिस राजा के द्वारा क्राति के गुप्त संगठन का भेद लेने तथा प्रमुख क्रांतिकारियों के नाम जानने के लिओ राजा की मुलाकात के लिये मेडोज को जेल में भेजा; किन्तु गुप्त सस्था तथा अस में सम्मिलित होने के बारे में जब टेलर राजासे पूछने लगा, तब राजाने क्या अत्तर दिया ? टेलर के शवों में ही बताना अच्छा होगा। मेडोज टेलर लिखता है :यह झट तन कर खडा रहा और आवेश से बोला 'नहीं, अप्पा, अिस बारे में तुम मुझे रेसिडेन्ट से मिलने कह रहे हो; मैं यह बात नहीं मानूंगा। रेसिडेन्ट मानता होगा, कि मैं अपनी जान बचाने के लिये अससे याचना करूँगा; किन्तु ध्यान रहे, अप्पा, मैं कायर की तरह क्षमा मांग कर जीना नहीं चाहता । मैं अपने सहयोगी देशबधुओं के नाम मरने दमतक न बताअँगा।" टेलर फिर मेक बार अस के पास पहुंचा और असने बताया कि राजा यदि षडयंत्रियों के नामभर बता दे तो असपर दया दिखायी जाने की पूरी आशा है। राजाने अत्तर दिया ' मैं जबसे क्रांतिदल में शामिल हुआ तबसे आज तक मैंने क्या क्या किया वह सब बता सकता हूं। किन्तु मेरे स्फूर्तिदाता का नाम बताने को तुझे यदि बाधित किया जाता हो, तो मेरा स्पष्ट अत्तर है 'नहीं'। क्या ? काल