पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/५४९

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अध्याय २ रा] ५०५ [पूर्णाहुति - से बहुत जल्दी निकल कर रॉबर्टसने तात्या की, सेना पर धावा बोल दिया। दिन भर तात्याने अस को रोक रखा और रात होते ही तोपों और सेना को अदेपुर राज्य के कोटरा गाँव में पहुंचा दिया । वहाँ सेना को सुस्ताने का समय दे कर, पास ही होनेवाले नाथद्वार के पवित्र क्षेत्र में ठाकुरनी के दर्शन के लिअ तात्या चला गया। यह आधी रातमें ही वहाँ से लौटा और तभी असे पता लगा कि पीछा करनेवाली अंग्रेजी सेना बहुत पास पहुँच गयी हैं। तात्या ने असी समय यहाँ से कच करने की आज्ञा अपनी सेना को दी। किन्तु सैनिक अितने थके मौदे थे, कि पैदल सैनिकों ने साफ • बता दिया, 'कल सबेरे तक अक डग भरने की हममें शक्ति नहीं; रिसाला' चाहे तो आगे चला जाय। अिस दशा में तात्या को लडाश्री करने के बिना चाराही न था। तडके. जितनी हो सके, सेना की व्यूह-रचना असने कर ली। १४ अगस्त के सि लडामी में तात्या की सेना हार कर तितर-बितर हो गयी और अस की तोपें भी शत्रु के हाथ लगी ! अब फिर तात्या के पास न रही तोपें, न युद्धसामग्री और अधर विजयोन्मत्त शत्रु हाथ धो कर पीछे पडा था । तात्याने फिर झांसा दे कर चम्बल की ओर दौड लगायी, किन्तु पीछे से और मेक पासे पर अंग्रेजी सेना ताबडतोड इमले कर रही थी और अब तो अक अंग्रेज कमाडर चुनी हुमी सेना के साथ प्रत्यक्ष चम्बल के किनारे सामने टपक पडा । किन्तु, अक को झांसा दे कर, अक को पीछे हटा कर और अक की आँख बचा कर बड़ी कुशलता से तात्पा, मंजिल पर मजिल तय करता । हुआ चम्बल पर आया और अमेजों को टापते रख कर चम्भल पार कर गया! ___ अब तात्या और शत्रु की सेना के बीच चम्बल का बाँध पड़ा था। किन्हु तात्या के पास तो न थी, न रसद, न धन । तब नर्मदा का मार्ग छोड असे झालरापट्टण को जाना पडा । वहाँ के भग्रेननिष्ठ नीच नरेश ने तोपों से सुसज्ज सीमानदार सेना के साथ तात्या पर धावा बोल दिया । किन्तु कैसा चमत्कार ! तात्या और सैनिकों की चार आखें होते ही वे तात्याही को 'स्वामी' कहकर वदन करने लगे ! झालरापट्टण में असे घोडे, गाडियां और भरपूर रसद मिल गयी । तात्या गया था खाली हाथ, अब अस के पास ३.२ तोपें हुमी । रावसाइब