पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/८२

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ज्वालामुखी] [प्रथम खंड नवाब इनकार पर डटा रहा, तब ब्रिटिश सेना अनधिकार लखनौम घुस पडी और नवाब के राजमहल के साथ समूचे अवध पर दखल कर लिया गया। रनवासो को लूटा गया; वेगमों को अपमानित कर नवाबको सिहासनमे उतार फेंका गया और उस के राजमहल को ब्रिटिश सोजीरो के रहने की बारिक बना दिया गया। इस तरह तब तक के नवावी कुशासन का अंत होकर अंग्रेजों के स्वर्गराज्य (१) का प्रारभ कर दिया गया। ___ अवध का शासक मुसलमान था, किन्तु उसके बडे बडे जमींदार हिन्दू ही थे। जागीरी तथा तालुकदारी के पूर्ण अधिकार उन के वंश में पीढी दर पीढी अखण्ड चालू थे। सैंकडो गाँव एक एक जमीदार के स्वामित्व मे पले जाते थे। इन जागीरों की रक्षा के लिए उन के पास छोटी-सी सेना तथा गद भी हुआ करते। इसीसे कपनी का क्रोध इन जमीदारोंपर उतरा इसमे क्या आश्चर्य है ? इन बलशाली जमींदारो को मटियामेट कर सभीको दरिद्रता की एक ही सतह पर लाने के लिए मालगुजारी के प्रबंध की कंपनी की चक्की पिसने लगी। तालुकदारों से उनके मातहत होनेवाले सैंकड़ों गॉव छिने गये, उन की जमीनै जन्त की गयी; गढ तहसनहस कर दिये गये; अवध की समूची भूमिमे दुःखसे कुहराम मच गया। कल का अमीर आज अकिचन बन गया। पुराने तथा ऊँचे घराने के वशजों को किसी अनाडी गोरे युवक की आज्ञापर गाँव गाँव में भगाया गया; सब ओर अपमान और अप्रतिष्ठा ऊधम मचा रहे थे; और हर एक परिवार को वेहाल बना दिया गया ।*

  • इन जमींदारों के विषय में 'के' लिखता है:---(स, ५)

उन की हालत बहुत बुरी थी। उन्हें भिन्न भिन्न विपत्तियों का सामना 'करना पडता था और वे शायद ही उन सब के झोको से बच सकते थे। जब एकाध वडे तालुकदार को अधिकार से पूरी तरह वंचित करने का बहाना न मिलता तन घोषित किया जाता कि वह बदमाश है; या पागल है। इस तरह उसे बदनाम कर उसका सत्यानाश करने का तत्काल उपाय किया जाता। यह बरताव बडा कटोर अन्याय