यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
3067
(घ) सारा घर मक्खियों से भनभन कर रहा था। आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टँगी थी, जिसमें पैबंद लगे हुए थे। दोनों बड़े लड़कों का कहीं पता नहीं था।बाहर की कोठरी में मुंशीजी औंधे मुँह होकर निश्चिंतता के साथ सो रहे थे, जैसे डेढ़ महीने पूर्व मकान- किराया-नियंत्रण विभाग की क्लर्की से उनकी छंटनी न हुई हो और शाम को उनको काम की तलाश में कहीं जाना न हो।
2. 'उसने कहा था' कहानी की मूल संवेदना लिखिए। (17)
साँचा:अथवा
तत्वों के आधार पर 'तीसरी कसम' कहानी का विश्लेषण कीजिए ।
3. 'वारिस' कहानी का सार लिखिए ।
साँचा:अथवा
(17)
4, 'दोपहर का भोजन' कहानी के कथ्य को उद्घाटित कीजिए ।
अथवा
'तीसरी कसम' कहानी में निहित प्रेम के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए । (16)P.T.O.