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चालक श्री दलीप कुमार, द्वारा श्री किशोरीलाल, मकान नं. ६२९, गली रॉबिन सिनेमा, सब्जी मंडी, मलकाग़ंज, दिल्ली-७१ से मिली थी।

ल्हास की संक्षिप्त जानकारी कर्नल टॉड द्वारा लिखित 'ऐनल्स एंड एन्टीक्विटीस ऑफ राजस्थान' के हिन्दी अनुवाद में दी गई सूचना पर आधारित है।

नारनौल, हरियाणा के प्रसिद्ध तालाब में आज भी मुंडन संस्कार के बाद संतान के माता-पिता तालाब से मिट्टी निकाल कर पाल पर डालते हैं। इस परंपरा की विस्तृत जानकारी गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के श्री रमेश शर्मा से मिल सकती है।

सहस्रनाम

दिल्ली के श्री द्विजेन्द्र कालिया और उनकी पत्नी सुश्री मुकुल कालिया दिल्ली के तालाबों, डिग्गी, हौज़ और नहरों के अच्छे जानकार हैं। श्रीमती मुकुल ने पुरानी दिल्ली पर बच्चों के लिए एक सरस पुस्तिका भी लिखी है। प्रकाशक हैं: गांधी शांति केन्द्र। उनका पता है: १९९ सहयोग अपार्टमेंट्स मयूर विहार, दिल्ली।

अंबाला की डिग्गियों की जानकारी हमें वहां के श्री देवीशरण देवेश से मिली। उनका पता है: गांधी शांति प्रतिष्ठान केन्द्र, १६३० जयप्रकाश नारायण मार्ग, अंबाला, हरियाणा। लाल किले के लाहौरी गेट के सामने बनी लाल डिग्गी की सूचना उर्दू में लिखी गई श्री सर सैयद अहमद खां की पुस्तक 'आसारूस सनादीद' (सन् १८६४) से मिली है। इस पुस्तक तक पहुंचने में हमें गांधी संग्रहालय के श्री हरिश्चन्द्र माथुर, गांधी शांति प्रतिष्ठान के श्री एच.एल. वधवा और श्री मुहम्मद शाहिद से मदद मिली है।

पाठकों को यह जानकर अचरज होगा कि लाल डिग्गी तालाब एक अंग्रेज सर एलनबरो ने बनाया था और राज करने वालों के बीच यह इन्हीं के नाम पर जाना जाता था। लेकिन दिल्ली वाले इसे लाल डिग्गी ही कहते रहे क्योंकि ५०० फुट लंबा और १५० फुट चौड़ा यह तालाब लाल पत्थरों से बना था। श्री हर्न की सन् १९०६ में प्रकाशित हुई पुस्तक 'सेवन सिटीज़ ऑफ डैली' में लाल डिग्गी का सुन्दर विवरण मिलता है। दिल्ली के अन्य तालाबों, नहरों, बावड़ियों के बारे में श्री कॉर स्टीफन की 'आर्कियालॉजी एंड मान्यूमेंटल रीमेन्स ऑफ डैली, सन् १८७६;

९९ आज भी खरे हैं तालाब