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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/११४

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चीन
 

दिया और प्रमुख सेनापति का पद ग्रहण किया ताकि जापान का पूरी तरह मुकाबला किया जा सके।

चियाग् काई-शेक ने चीनी राष्ट्र में नवचेतन तथा राष्ट्रीयता को जगा दिया है। वह बड़ी दृटता, वीरता और धैर्य के साथ जापानियो का मुक़ाबला कर रहे हैं। जब दिसम्बर १९३७ मे नानकिंग् का पतन होगया तब उन्होने चुग्किंग् को अपनी राजधानी बनाया। उनकी


धर्मपत्नी, श्रीमती मे-लिंग् सुग्, का भी चीन के राष्ट्रीय संघर्ष में प्रमुख स्थान है। फरवरी १९४२ मे मार्शल चियाग् श्रीमती चियाग् काई-शेक सहित भारत आये। वह भारत के वाइसराय के अतिथि बने। उन्होने महात्मा गान्धी, प० जवाहरलाल नेहरू, मौ० आज़ाद तथा मि० जिन्ना आदि नेताओं से भेट की। अपके आगमन से भारत और चीन का पुरातन सास्कृतिक-नैतिक सम्बन्ध, राजनीतिक- सम्बन्ध के रूप मे, और भी दृढ़ हुआ है।


चीन--चीनी-प्रजातन्त्र। चीनी भाषा मे इसे 'चुग् हुआ मिन को' कहते हैं। मुख्य चीन मे १८ प्रान्त हैं तथा क्षेत्रफल १५,३३,००० वर्गमील है। इसमे मगोलिया, सिकियाग्, तिब्बत (जो १९१२ ई० तक चीन के अधीन था और अब स्वतन्त्र है) तथा मन्चूरिया--इन विवादास्पद बाहर के देशो को शामिल करके क्षेत्रफल ४२,७८,००० वर्गमील होजाता है। मुख्य चीन की जनसख्या ४०,००,००,००० है, और यदि उपर्युक्त देशो की जनसख्या भी शामिल की जाय, तो ४५,८०,००,००० हो जायगी। सन् १९११ में जब चीन मे क्रान्ति हुई, और फलतः मचू राजवश के एकतन्त्र शासन का अन्त होकर प्रजातन्त्र की स्थापना हुई तब से चीन में स्थायी रूप से गृहकलह होता रहा। प्रजातन्त्र के सर्वप्रथम पुरातन-पन्थी राष्ट्रपति मार्शल यूआन शि-काई का दक्षिणी चीन के प्रजातन्त्रवादी नेता डा० सन यात-सेन ने विरोध किया। सन् १९१५ में मार्शल यूआन ने अपने को चीन का सम्राट घोषित कर दिया। परन्तु थोड़े समय बाद ही उसका देहान्त होगया। क्रान्ति के