१९३९ को स्लोवाको को उत्तेजित किया और विद्रोह कराया। उन्होने पूर्ण स्वतंत्रता की मॉग पेश की। हिटलर को यह अच्छा बहाना मिल गया, उसने कहा कि यह विद्रोह जर्मनी की शान्ति के लिये एक ख़तरा है। अतः १५ मार्च १९३९ को जर्मन फ़ौजो ने चैकोस्लोवाकिया में प्रवेश किया। इसका कोई विरोध या प्रतिरोध नही किया गया। चैकोस्लोवाकिया के
राष्ट्रपति हाशा तथा अन्य मंत्रियों से ज़बरदस्ती एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कराये गये, जिसके अनुसार चैकोस्लोवाकिया के शेष भाग बोहेमिया, मोराविया और चैक प्रान्तो को, जर्मन-संरक्षण मे, जर्मनी में मिला लिया गया। स्लोवाक को भी इसी प्रकार का संरक्षित ‘स्वतत्र' राज्य बना दिया गया। चैक सेना को निःशस्त्र कर दिया गया। चैक प्रजा के इस बलिदान ने संसार की ऑखे खोल दी और नात्सीवाद का भयंकर रूप प्रकट होगया। डा० बेनेश लन्दन चले गये। वहाँ जाकर उन्होने चैकोस्लोवाकियन राष्ट्रीय समिति बनाई है, जिसे मित्र-राष्ट्रों ने स्वीकार कर लिया है और उसे चैक प्रजा की प्रतिनिधि मानते हैं। यह समिति देश की स्वतन्त्रता के लिये प्रयत्नशील है।
चौटेम्स,कामिली-–फ्रान्स के राजनीतिज्ञ।
जन्म सन् १८८५ मे हुआ। पहले कुछ दिनो वकालत की। सन् १९०४ से फ्रान्स की पार्लमेट के सदस्य रहे। सन् १९२४ मे गृहशासन-विभाग के मत्री थे। सन् १९३० मे, २४ घन्टे के लिये, प्रधान मंत्री बने। सन् १९३३ तक न्याय-मंत्री तथा शिक्षा-मंत्री रहे। तबसे २७ जनवरी १९३४ तक प्रधानमंत्री रहे। जून १९३७ से मार्च १९३८ तक दुबारा प्रधान-मत्री रहे।
मार्च १९३८ से रिनो सरकार में वह उप-प्रधानमन्त्री थे।