कारी नहीं करते। किसानो की कड़ी मिहनत पर पलते और मौज करते हैं। भारत
मे ज़मीदारी प्रथा का प्रचलन मुग़ल-काल में हुआ और अँगरेज़ी साम्राज्यवाद ने इस प्रथा को यहॉ और भी दृढ़ कर दिया। समाज के सामूहिक हित
के मौलिक सिद्धान्तो पर आघात करनेवाली इस प्रथा के विरुद्ध अब भारत
मे असन्तोष बढ़ रहा है।
जलियाँवाला बाग-–यह अमृतसर (पंजाब) नगर में एक सुविशाल मैदान है जो चारो ओर से मकानो से घिरा हुआ है। इस स्थान में सार्वजनिक सभाएँ होती हैं। सत्याग्रह की प्रतिज्ञा के सम्बन्ध मे, समस्त देश के साथ, यहाँ भी ६ अप्रैल १९१९ को एक सभा हुई थी। इस स्थान में प्रवेश करने के लिए एक छोटा-सा द्वार है जिसमे होकर एक गाड़ी भी नहीं निकल सकती। सभा मे २०,००० नर-नारी तथा बालक उपस्थित थे। जनरल डायर १०० भारतीय तथा ५० गोरे सैनिको के साथ वहाँ पहुँचा। मशीनगने भी साथ मे थी। जनरल डायर का वक्तव्य है कि उसने सभा भंग करने के लिए आज्ञा दी और उसके दो तीन मिनट बाद ही गोली चलाने की आज्ञा दे दी। १,६०० गोलियाॅ चलाई गई, और जब गोलियाँ ख़त्म होगई तब गोली चलाना बन्द हुआ। ४०० व्यक्ति गोलियो के शिकार होकर वहीं बलिदान होगये तथा एक और दो हज़ार के बीच घायल हुए। इस घटना के बाद पंजाब के कई नगरो और ज़िलो में फ़ौजी शासन (मार्शल-ला) जारी होगया। पंजाब में इन दिनो अन्धाधुन्ध दमन-चक्र चला। इस अमानुषिक हत्याकाण्ड की स्मृति में प्रति वर्ष देश मे अप्रैल मास के आरम्भ में राष्ट्रीय सप्ताह मनाया जाता है। सन् '२०-२१ ई० के असहयोग आन्दोलन का एक प्रवल कारण यह हत्याकाण्ड और इसके साथ फौजी शासन-काल में पंजाब में हुए अनेक अत्याचार हैं।
जाकिरहुसैन, डाक्टर--जामिया मिल्लिया इस्लामिया, देहली, के
प्रिंसिपल। सन् १८९९ मे जन्म हुआ। शिक्षा एम० ए०, पीएच० टी०
(जर्मनी)। अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अलीगढ मुसलिम विश्वविद्यालय में रहे।
सन् १९२१ मे अपने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया और राष्ट्रीय
मुसलिम विश्वविद्यालय की स्थापना में सहयोग दिया। सन् १९२३ में जर्मनी