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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/१३२

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जापान
 


स्थापित होजाय। अमरीका ब्रिटिश-जापान-मैत्री को पसंद नहीं करता था। इसलिये सन् १९२२ मे यह मित्रता भंग होगई। जापान ने, सैनिक नेतृत्व में, चीन की विजय की योजना बनाई। सबसे पहले उसने मन्चूरिया पर १९३१ ई० में अधिकार जमाया, जो अब मचूको कहलाता है। मन्चूरिया में भूमि तो बहुत है, किन्तु जापानियो के लिये वहाँ की जल-वायु अनुकूल नहीं। इसलिये वे वहाँ उपनिवेश नहीं बसा सकते। सिर्फ २,००,००० जापानी मञ्चूको में रहते हैं। दक्षिणी चीन, जहाँ आजकल युद्ध हो रहा है, जापानियो के लिये अधिक अनुकूल है, परन्तु उसमे चीनियों की ही अपनी घनी आबादी है।

अतः जापान चीन को अपना उपनिवेश बनाने के लिए नहीं प्रत्युत् कच्चे माल तथा तय्यार माल की मडी के लिये चाहता है। १ करोड़ २१ लाख जापानी उद्योग-धंधा करते हैं, और आबादी का ५० प्रतिशत कृषि। जापान में जमीदारी प्रथा का जोर है। ज़मीन की कमी की वजह से किसान बहुत गरीब हैं। मजदूरो की आर्थिक दशा भी बहुत हीन हैं, मज़दूरी बहुत सस्ती है, इसी कारण पिछले वर्षो जापान ने प्रतियोगिता में अन्य देशो को हराकर संसार के, विशेषकर भारत के, बाजार को सस्ते माल से भर दिया था। तीकोकू-गिकाई (जापानी पार्लमेण्ट) में दो सभाएँ हैं : छोटी सभा (शूगिन) में ४६३ सदस्य हैं जो ४ वर्ष के लिये चुने जाते हैं। बड़ी (किज़ोक्किन) में ४११ सदस्य हैं जिनमे १९२ आजीवन सदस्य और शेष ७ वर्ष के लिये चुने जाते हैं। यह सम्पत्ति और सत्ताशालियों की सस्था है। प्रत्येक क़ानून का दोनों सभाओं द्वारा स्वीकृत होना ज़रूरी है। परन्तु सरकार सम्राट् के प्रति उत्तरदायी होती हैं। सरकारी नीति सरकार निर्धारित करती है। तीकोकू-गिकाई की छोटी सभा मे दो मुख्य दल थे : देहाती और श्रमजीवी समुदाय का प्रतिनिधि मिन्सीतो, जिसकी सख्या १७९ है। सीयूकाई नामक खेतिहर-दल भी था जिसके प्रतिनिधि १७६ हैं। शकाई तैशूतो नामक समाजवादी (सख्या ३५) दल भी था। कोकुमिन डोमी नामक ११ फासिस्ट और तोहोकाई नामक दल के १२ क्रान्तिकारी सदस्य हैं।

जापान में सार्वजनिक चुनाव ३० अप्रैल १९३७ को हुआ था और १९४० के अगस्त और सितम्बर में सब दलो ने, गवर्नमेन्ट के दबाव से,