विश्वासघात) लिखी, जिसमें उसने केवल रूस तक सीमित स्तालीन के
राष्ट्रीय साम्यवाद की कडी़ आलोचना करते हुए अपने अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवाद
और ससार-व्यापी क्रान्ति की विचारधारा की पुष्टि की है। यह वास्तव
मे एक दु:खद प्रसग है कि ट्रात्स्की अपने सहयोगियो तथा जनता का, लेनिन की भाँति, विश्वास-पात्र न बन सका। जब वह रुनंणावरुथा में मोटर में बैठकर अस्पताल जा रहा या, तब मार्ग मे, २१ अगस्त है १९४० को, फ्राक जैक्सन नामक एक यहूदी ने उसके सिर पर हथौडे मराकर उसकी हत्या कर दी।
टाइरोल--पिछ्ली लड़ाई के बाद, सन् १९१९ मे, आस्ट्रिया का यह दक्षिणी प्रदेश इटली ने अपने राज्य में मिला लिया। इसमे इटालियन और जर्मन दोंनो रहते हैं। ब्रैनर दर्रे के कारण इटली इसे अपने अधिकार में रखना चाहता है। यहाँ के प्रवासी जर्मनों मे जर्मनी की सहायता से अपना छुटकारा चाहा, किन्तु हिटलर ने यह देश दोस्ताने में इटली को छोड़ दिया। फिर भी इटली ने अगस्त १९३९ में यहाँ जर्मनों को यह सुयोग दिया कि वे १९४२ के अन्त तक जर्मनी चले जायें। इस पर १,८५,०० जर्मनी ने चले जाना तय किया। ८२,००० वहीं रहेंगे।
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डन्कर्क--डोवर जल-डमरूमव्य में, फ्रास के समुद्री तट पर, यह फ्रांस का बन्दरगाह है। २८ मई है १९४० को जब बेलजियम के बादशाह ने जर्मनी के सम्मुख आत्म-समर्पण कर दिया, तब जर्मन लोगो ने डन्कर्क से होकर फ्रांस पर आक्रमण किया। डन्कर्क मे ब्रिटेन तथा फ्रांस की सवोंत्तम सेनाएँ थी।