और न उस देश में विग्रही राष्ट्रों के लिए सैनिकों की भर्ती ही की जा सकती है। विग्रही राष्ट्रों के युद्ध-पोत तटस्थ राष्ट्रों के बन्दरगाहों में २४ घटे तक ही ठहर सकते हैं। वे ऐसे बन्दरगाहों में अपने युद्ध-पोतो की मामूली मरम्मत कर सकते है तथा भोजन-सामग्री आदि ले सकते हैं। तटस्थ देश के बन्दरगाह पर ठहरे हुए विग्रही राष्ट्र के युद्धपोत में यदि युद्धबन्दी पाये जायँ तो उन्हे मुक्त किया जा सकता है। तटस्थ राष्ट्र विग्रही राष्ट्रों के साथ व्यापार कर सकते और उन्हें युद्ध-सामग्री भेज सकते हैं।
तटस्थता कानून, १९३९—संयुक्त-राज्य अमरीका ने यह क़ानून ४ नवम्बर १९३९ को स्वीकार किया था। इसका आशय यह था कि जैसे ही राष्ट्रपति यह घोषणा कर देंगे कि अमुक देश विग्रही हैं, वैसे ही उन देशों को अमरीकन अस्त्र, शस्त्र, युद्ध सामग्री तथा अन्य वस्तुएँ नक़द मूल्य पर बेची जा सकेंगी। सयुक्त-राज्य् अमरीका में कोई व्यक्ति किसी विग्रही देश की सरकार के द्वारा युद्ध के बाद जारी किये गये ऋणा-पत्रको को न ख़रीद सकेगा और न रुपया ही उधार दे सकेगा। हाँ, व्यापारिक मामलों में ऐसा किया जा सकेगा। अमरीकन जहाज़ों द्वारा विग्रही देशों के लिए कोई रसद न भेजी जा सकेगी। विग्रही राष्ट्रों को स्वयं अपने जहाज़ो में माल मँगाना होगा। अमरीकन जहाज़ों को युद्ध-क्षेत्र में नहीं जाना होगा। किन्तु दिसम्बर १९४१ में वर्तमान युद्ध में अमरीका के शामिल होते ही यह क़ानून अपने आप बेकार हो गया। अमरीका अब हथियार तथा अन्य युध्द-सामग्री केवल मित्र देशो—ब्रिटेन, रूस और चीन—को दे रहा है। सन् '४० के शुरू तक ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, हालैंड, जर्मनी तथा स्केन्डिनेविया के समुद्र-तट युद्ध-क्षेत्र घोषित किये जा चुके थे, और अब स्वयं अमरीका के विग्रही देश बन जाने में उसका समुद्र-तट भी युद्ध-क्षेत्र घोषित हो चुका है।
तटस्थ-क्षेत्र (अमरीकन)—३ अक्टूबर १९३९ को अमरीका के २१ प्रजातंत्र राज्यों के एक सम्मेलन में तटस्थ-क्षेत्र की सीमा निर्धारित की गई। यह सीमा समस्त अमरीका (कनाडा को छोड़कर) के चारों ओर ३०० मील तक और कहीं-कहीं ६०० मील तक निर्धारित है। यह निश्चय किया गया कि हर क्षेत्र में युद्ध-संबंधी कोई काम न किया जा सकेगा। अब इस