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तुर्किस्तान (टर्की)
 

ने लन्दन जाकर शिरोल के विरुद्ध मानहानि का मुकद्दमा चलाया। पर इस मुक़द्दमे में तिलक की विजय न हो सकी।

पहली अगस्त १९२० को असहयोग आन्दोलन का आरम्भ होनेवाला था। लोकमान्य तिलक ने मुसलमानों को आश्वासन दिया था कि वह ख़िलाफत आंदोलन में सहयोग देंगे। परन्तु आन्दोलन के आरम्भ होने से पूर्व ही ३१ जुलाई १९२० को रात्रि में उनका स्वर्गवास हो गया।



तुर्किस्तान (टर्की)--क्षेत्रफल ३,००,००० वर्गमील, जनसंख्या १,६५,००,०००। राजधानी अकारा। पुराने उसमानिया साम्राज्य के पतन के बाद तथा अलवानिया, अरब के कई प्रदेश, एव फिलस्तीन आदि मुल्कों के इस सल्तनत में से निकल जाने के उपरान्त, सन् १९२२ मे, कमाल अतातुर्क ने तर्की प्रजातन्त्र की नीव डाली। अतातुर्क ने टर्की में अनेक राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक सुधार किये और देश का, आधुनिक युग के अनुकूल, पूर्णतः पाश्चात्यीकरण किया। सन् १९३४ मे कमाल ने एक चातुर्वर्षीय योजना बनाई। राष्ट्र (सल्तनत) की ओर से १५ बड़े कारखाने बनाये गये। सोवियट रूस से मशीने मॅगाई गई। यहाँ राष्ट्र ही आर्थिक योजना तैयार करता है और वही अत्यन्त महत्वपूर्ण उद्योगो का स्वामी है। व्यक्तिगत स्वत्वाधिकार के लिये भी गुजाइश है। परन्तु राष्ट्र का फिर भी नियत्रण रहता है। टर्की मे अधिनायक-तत्र है। प्रजादल (People's Party) ही अकेला राजनीतिक दल है। देश की राष्ट्रीय परिषद् मे कुल ३९९ प्रतिनिधि हैं। इनमे ३८१ प्रजादल