हैं। वह, रंगभेद के कारण, उन्हें समानता के अधिकार नहीं देना चाहते। बोअर और ब्रिटेन उनकी ‘क्रमिक उन्नति' चाहते हैं। यूनियन की राजनीति में आदिम-निवासियों का प्रश्न मुख्य है, पर बिना सुलझा पड़ा है।
दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका--विगत विश्व-युद्ध से पूर्व जर्मन-उपनिवेश था। क्षेत्रफल ३,१७,००० वर्गमील, जनसंख्या ३,६०,०००। इसमे ३१,००० योरपियन हैं, जिनमे से ८,००० जर्मन हैं। यह उपनिवेश राष्ट्र-संघ के शासनादेश के अनुसार दक्षिण अफ्रीकी यूनियन के नियत्रण में है। इस प्रदेश में हीरे की खाने हैं।
दार्ला, ऐडमिरल जीन फ्रेक़ाइ--फरान्सीसी नौसेनापति। १८८१ ई० में जन्म हुआ। सन् १८९९ मे फरान्सीसी नौसेना में भर्ती हुआ। पिता को छोडकर, जिसने न्याय-मत्री पद से नौकरी ख़त्म की, दार्लो के पूर्वज भी नाविक अथवा नौसैनिक थे। जल-सेना में दार्लो अनेक मोर्चों पर सेनापति रहा। १९३७ मे उसे नौसेना के अफसरों का प्रधान बनाया गया और १९३९ में प्रधान नौसेनापति। १९३९-४० के महायुद्ध में उसने फरान्सीसी नौसेना का सचालन किया। १९४० मे जब मार्शल पेतॉ ने मत्रिमण्डल बनाया तो दार्लों उसमे शामिल हुआ और नौसेना-मन्त्री बन गया। पेताॅ की भॉति दार्लो भी जर्मनी को पक्षपाती और ब्रिटिश-विरोधी होगया। उपप्रधान-मन्त्री बना। फरवरी १९४१ मे पेताॅ का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। साथ ही वह वैदेशिक मन्त्री और स्वराष्ट्र मन्त्री भी बनाया गया।
अक्टूबर १९४२ मे जब अमरीकी फौजे उत्तरी फरान्सीसी अफ्रीका में उतरी तो मार्शल पेताॅ ने उनका मुक़ाबला किया जाने का आर्डर दिया, किन्तु दार्ला ने, जो उस समय वहाँ का हाई कमिश्नर था, लडाई को रोक दिया। इधर दार्ला को अपनी पिछली भूलो का भान होने लगा था, और, यद्यपि जनरल द गौल को उसमे अब भी विश्वास नही था, दार्ला संयुक्तराष्ट्रों का पक्षपाती बनता जारहा था, कि २४ दिसम्बर १९४२ को, उसके आफिस, अल्जीयर्स मे, एक नौजवान फरान्सीसी ने ऐडमिरल जीन फ्रेकाइ दार्लो को गोली चलाकर मार डाला।
जनरल जिरौ दाल का उत्तराधिकारी, उत्तरी फरान्सीसी अफरीका का