है, और ब्रिटेन तथा संयुक्त-राष्ट्र अमरीका से भी उसकी, चीन के कारण, नही पटती। इसलिए उसने इसीमे भलाई समझी प्रतीत होती है कि वह धुरी राज्यों में शामिल होजाय। जब उसने कामिण्टर्न-विरोधी-सधिपत्र पर हस्ताक्षर कर दिये तो वह भी इस गुट में शामिल होगया और पीछे बर्लिन-रोम-तोक्यो सामरिक त्रिगुट भी बन गया।
न
नज़रबन्दी--शासक-वर्ग द्वारा किसी व्यक्ति को, उस पर बिना कोई अभियोग लगाये तथा बिना न्यायालय में उसका अपराध प्रमाणित किये, स्वेच्छाचारितापूर्वक, जेलख़ाने या अन्य किसी स्थान मे, बन्दी बनाकर रखना।
नरीमान, ख़ुरशीद फरीदूँ--१९३७ तक बम्बई प्रान्त और शहर के सुप्रसिद्ध कांग्रेसी नेता। बम्बई हाईकोर्ट के बैरिस्टर। बम्बई प्रान्तीय धारासभा के कई बार सदस्य और बम्बई कारपोरेशन के मेयर रहे। बम्बई प्रान्तीय युवक परिषद् के नेता। अखिल भारतवर्षीय युवक परिषद् के सभापति। अनेक बार बम्बई प्रान्तीय काग्रेस कमिटी के सभापति चुने गये। अक्टूबर १९३४ की बम्बई-काग्रेस की स्वागतकारिणी-समिति के आप स्वागताध्यक्ष थे। सन् १९३६ तक काग्रेस में उनका यथेष्ट प्रभाव रहा। उसके बाद बम्बई की चुनाव-राजनीति की गंदगी मे आपका गौरव नष्ट होगया। कांग्रेस पार्लमेण्टरी बोर्ड के अध्यक्ष सरदार बल्लभभाई पटेल तथा मि० के० एफ० नरीमान मे, चुनाव के सबध मे, मनोमालिन्य होगया। सन् १९३७ मे उन पर अनुशासन की कार्यवाही कीगई और कांग्रेस से उनका निष्कासन कर दिया गया।
नरेन्द्रदेव, आचार्य--जन्म कार्तिक सम्वत् १९४६ वि०। शिक्षा--एम० ए०, एलएल० बी०। पाली, संस्कृत, प्राकृत तथा बौद्ध साहित्य के